हिन्दी व्याकरण | Hindi Vyakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
76 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. कामताप्रसाद गुरु - Pt. Kamtaprasad Guru
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
समाज की शैक्षणिक श्रावश्यकता--वर्गगत सामू्िक जीवन--वर्ण विधान
के विरुद्ध श्रान्षप--वर्ण विधान, संसार के नक्शे मे-जन्मना और
कमेणा--वर्ण व्यवस्था, सामाजिक सहयोग का प्रेरणा विन्दु, न्यायाधीश के
रूप में; वर्ण व्यवस्था और प्रतिस्पर्था--वर्णाश्रम--कतयुग श्रौर वर्णाश्रम--
गांधीजी की नयी योजना: नयौ तालीम : समध्य का अचूक समाधान--
नयी तालीम में कार्य और उद्योग स ही ज्ञानी सिदधि--गांधीजी की
योजना : विश्व धर्म-- ` ६१-७८, १६२-१७९
(५)
भारतीय कुटुम्ब व्यवस्था, संयुक्त पग्र, वैयक्तिक माहम-- संयुक्त परिवार
सामृदिक कपि का तंठृलित ल्य द-विनध्रनी श्रौर भू-दान-यक्ञ--
सामूदिक सूम्पब्नता के लिए वंयक्तिक वमाना लल्री--श्म की यति-
हीनता और नवभारत की उत्पादन विधि--संखुक्त व्यवस्था समाज का कतंघ्य
विधान है--नवभारत की श्रम नीति-- ७६-८४, १७६-१८७
( र.) वकारी--
(१)
प्रारम्मिक--सवसुयोग्यों का जीवनाधिकार--भोजना गार में भूख पीडा-- -
यंत्रों की मर्या कायम करने की जषरत-- नयी तालीम चनाम वर्धा पद्धति--
८६-८ट८; १८७-१६०
इ.
सच्चा श्रम विधान--दनावश्यक और च्रनुत्पादक कायं ( १६० ट )--
८९; १६०-९६.१
(३)
जनव्रृद्धि श्रौर वकारी, छृपि जन्य बेकारी, बेरी श्रीर् आमोद्योग,
वणगत श्र धार्मिक वेकारी, सरश्नरी श्रौर व्यापारौ वेकरारी, राजस्व और
वकारी--श्वम प्रधान उत्पादन श्र ्मदगी--नलमय उसादन बनाम
साम्पत्तिक विनाश--कलमय उत्पादन बनाम बेकारी--स्वदेशी समाज --
सरकार ग्रौर समान-- ६०, १६१-१६८
(ल) सम्पत्ति योर स्वाभित्व--
स्वामित्व से ही सम्पत्ति का स्वरूप स्थिर होता दे--सम्पत्ति और व्यक्तिगत
स्वामित्व--विश्व के साम्पत्तिक चक्र में व्यक्ति का खाथं और पुरुपार्थ--
वैयक्तिक स्वासित्व का विरोधामास--वेयक्तिक या सामूहिक स्वामित्व--
सामूहिक स्वामित्व--सम्पत्ति का सच्चा मूल्य--सामूहिक विधान में साम्प-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...