विलायती उल्लू | Vilaayatii Ulluu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
165
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' डिनर
दाय ! बजाय किताबके एक लकड़ीका डाज जो कम्बख्त रंगोन
जिल्दोंकी शकलका बना हुआ था. भड़भड़ाकर निकल्त याया
तर मेरी खोपड़ी तोड़ता-फोड़ता घड़ामसे मेन्नपर झा गिरा।
उल्टी हुई दाबातोंसे रोशनाइकी नदी बह चली । लोग मेरी
तरफ दोड़ पड़े । मुझे कुछ न सूका तो सर मुकाकर भट
अपने रेशमी रूभालसे सेजपरकी रोशनाई साफ करने लगा ।
इतनेमे ही खाना खानेकी घरटी घनघना उठी। लोगोंका
व्यान उधर बट गया । पिस्टर फ्रर्डली भी मुके दम-दिलासा
देकर कि कुछ नुकसान नहीं हुमा रौर मुमे अपने साथ
खानेक्रे कमरेमें चलनेके लिये कदकर शोरोंके पोछे चल्नते
हुए ।
प्रव जाना कि पदलो घण्टी जिसने मुझे यकायक
घवबड़ा दया था, बह सिफं यह वतानेके लिये थी कि
डिनरमें बस अव साध घर्टेकी देर है ।/ लोगोंखे पिछड़
जानेके कारण में खानेके कमरेमें पहुँचनेके बदले एक रेजे
कमरेमें घुस पड़ा, जहां बड़ी अम्मा यानी मिस्टर फ रुडल्ीकी
मां लुढ़कनेबाली कुषीं-ररण्णपण् ०87 में घंघो हुई
द्ाथमें दूधघका भरा कटोरा लिये झपनो प्यारी बिज्ञी पुषीको
गोदमें बिठाये दूध पिल्ञा रद्दी थी श्लौर नीचे टामी दुम हिना-
हिज्ञाकर बुढ़ियाके मोतकी दुझाएं मांग रद्दा था। तुरन्त
सात
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