आश्रम संहिता | Aashram Sanhita
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतसेवक गोखलेका सेवाश्रम : ७
यथासमय गाधीजीने ऽलाण्डा1४ ०12 3०लंधए को आधिक और
अन्य मदद की । लेकिन अुस सस्थाके साथ गाघीजी मेकरूप नही हो सके ।
गाघीजीने देशसेवा करनेका तरीका सीखनेके चिमे ओर प्रत्यक्ष
देगसेवा करने के छिञे' सत्याग्रहाश्रमकी स्थापना कौ 1 स्थापनाके पहले
भुन्होने अपने विचार नेक योजनके रूपमे छापकर देशके प्रमुख नेताओं
के पास भेज दिये आर बुस पर मुनक सम्मतियां मौर रचनात्मक
टीका-टिप्पणी मांग ली ।
गाघीजोकी कल्पनाका दो-तीने प्रान्तोके रोगोने स्वागत किया भौर
ञुन्दे आमन्त्रण भी दिया । गाधीजीने सोचा कि “मैं जन्मसे गुजराती हूँ ।
देशसेवाका प्रारम्भ गुजरातसे और गुजराती भाषाके द्वारा करू और
गुजरातका पं सा राष्ट्रसेवाके लिये लगाओँ |'
आाश्रमकी स्थापनाकी जव चर्चा चल रही थी तव मैने अन्हे
सुझाया कि अहमदावाद नहीं, किन्तु अहमदाबाद भीौर वम्चबीके बत्च
सुरतके आसपास कही आश्रम खोलना अच्छा होगा । मेरी सूचना विचार
करने योग्य है, जितना तो अून्होने कहा । लेकिन वस्त्र-निर्माणके भारत
के प्रधान केन्द्र, अहमदावादमे हा आश्रम खोलनेका मुन्होने निश्चय
किया । और अहमदावादके पास, सावरमताके अस पार कोचरव नामक
गाँवमे वेंरिस्टर जीवणछालका येक वगला किराये पर लेकर अन्होने
आश्रमकी स्थापना की । तुरन्त दूसरा मेक पडोसका वगला भी किराये
पर लेकर आश्रमके वस्तारके लिअ अनुकछता प्राप्त की । जिस तरहसे
भारतेमे गाघीजीका आश्रमी प्रयोग शुरू हुआ ।
राष्टूसेवाके जिओ माश्रम-जीवनकी नितान्त सावदयकता है, जिसका
साक्षात्कार गाघीजीकों दक्षिण आाफ़िकामे ही हुआ था । भौर जैसे दो
प्राथमिक प्रयोग अुन्होने वहाँ किये भी थे । जुनके जिक्रके विना सत्या-
ग्रहाश्चमके प्रारेम्भका खयाल ठीक नही हो सकता ।
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