त्रिषष्टिशलाका पुरुष - चरित्र | Trishashtishalaka Purush - Charitra
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
874
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ १६1
२ दुसरे पर्वमे तीर्थकर अजिवनाथजी और चक्रवर्ती सगरके
चरित्र हैं ।
३. वोसरे पवमें आठ तीर्थैकरोंके (समवनाथजी, 'झभिनन्दन
जी, सुमतिनाधजी, पद्मम्रमुजी, सुपार््वनाथजी, चन्द्रमभु जी,
सुविधिनाथजी 'और शास्तिनायजीक ) चरित्र हैं ।
४ चौथेपर्वमे ४ तीर्थकरोंके ( श्रेयासनाथजी, वासुपूज्बजी,
बिमलनाथजी, '्नंतनाथजी, और धघर्मनाथजी के, ) दो चक्र-
वर्तियोफे ( मघवा और सनतछुमारके, ) पाँच बासुदेवॉकि
( त्रिपूष्ठ, द्विपृष्ट, स्वयंभू , पुरुपो्तम व पुरुपसिंहके ) पाँच
प्रतिवासुदेवोंके ('श्वमीव , तारक, मेरक, मधु 'और निष्कमके)
और पाँच बलभद्रों के (अचल, विज्ञय, भद्र, सुप्रभ व सुर्शनके)
चरित्र हू ।
५ पाँचये पर्वमें तीर्थंकर श्रीशातिनाथजी और चव
श्रीशातिनाथजीके चरिय ह 1 ( चक्रवर्ती शातिनाथजी द्री अत
मे उसी भवमे तीर्थकर भी हुए हं । एक ही जीव एकी भवर्मे
दो शलाका पुरुष हुआ है । )
६. छे पवेमे चार तोर्थकरोके ( कुथुनाथजी, श्रगनाथजी
मल्लिनायजी और मुनिसुन्रतस्वामीके ) चार चक्रवर्तियों के
(कुधुनाथजी, अरनाधनी, सुमोम और पदाफे ) दो वासुदेवों के
( पुरुपपुण्डरीक श्योर दृत्तके ) दो अतिवासुदेवोंके ( वलि ओर
प्रहलादके ) 'शर दो बलमद्रोके ( आनन्द और नन्दनके )
कुल चौददद शलाका पुस्पॉंफे चरित्र ह। ( इनमेसे कु थुनाथ
जी श्रौर च्ररनाथजी प्यहो मननं चत्त भी छुए और ती्थ-
प्रभी हण दुसल्ित्जोव यारटदीष् 1)
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