त्रिषष्टिशलाका पुरुष - चरित्र | Trishashtishalaka Purush Charitra

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Trishashtishalaka Purush Charitra  by कृष्णलाल वर्मा - Krishnalal Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{८} इन शलाका पुश्पोमिं आत्माएँ ५६ है और स्वरूप ६० हैं, कारण, शांतिनाथजी, कुथुनाथजी तथा अहनाथजी एकद्दी स्व- रूपमें तीर्थंकर भी हुए है और चक्रवर्ता भी, इसलिए ६३ मेंसे ३ फम करने पर ६० स्वरूप रहते हैं । प्रथम चासुदेव जिपृष्टका जीवदी महावीर म्यामीका योौव हुआ। इसल्लिए चार जीव पिरसठ जीवॉमेंसे कम करनेसे उनसठ जीव हैं । तिरसठ शलाका पुरुषोंकी माताएँ साठ थीं। कारण,शांति- नाथ, कुथुनाथ और अरहनाथ ये तीनों एकद्दी भवमें तीर्थंकर भी थे और घक्रपर्दी भी थे। तिर्सठ शल्लाका पुरपोफे पिता एकायन हैं। कारण, वासुदेव और बलदेव एकट्दी पिताकी सतान दोने हें, इसलिए नो वासुदेवों और नो बलों पिता नो ए और शाति, छुथु और अग्ह ये तीनों एकद्दी भवर्भ चक- बर्ली भी थे और तीथकर भी थे । इसलिए इनके पिता तीन ये। इस तरह कुच्त घारह कम करनेसे पिता इफ्कावन हुए। জাই মন अनन्त द्वोते है, परन्तु शल्ाफा-पुरफन्‍्चरिभ्र में तीपकरोंके ज्ञो भव दिए गए है. वे सम्यक्त्व प्राप्त करनेके याद मोज्ञ गए तथ तफऊे হী दिए गए दे । सैसे श्री ऋषमदेव भगवानऊ तेरह भवोंका वर्णन दिया गया दै | तीथथंबर होनेवाला आत्मा सम्यय्त्व प्राप्त फरनेके घाद तीसरे भवसे ही तोर्थफर नामऊम बॉधता है। तीर्येबःर नामकम घीस स्थानकोमेसे एक-रोढी अथवा यीसोंकी आराधना फरने से वँघता दे । घीस स्थानकोंप। वर्णन पहले पर्व ऊे प्रथम सर्ममें (१०६ से १०६ पृष्ठ ठड़ ) आया है। हसको थोस पद भी पदछत ६




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