प्रेम उपदेश | Prem Updesh
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.68 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)केश .ाए
शीक़ और भाग की भी वेही अपनी मेहर से एक दिन
मिटा देवेंगे । उन्हीं का भरोसा रखना चाहिये छरैर
जो कभी अभ्यास के समय विशेष आनंद प्राप्त होवे, '
था कभी कोई सख तकलीफ सिर पर घ्ा पड़े, तो उसके
बरदाश्त घर हजम करने की ताकृूत्त भी वेही शपनी
मेहर से बखूर्शंगे ॥ .
चयन २६
हुजूर राघास्वामी दयाठ की दया का भरोसा रक्खो |
वे सब त्तरह सम्हालने वाले हैं और शव भी संब तरह |
से रक्षा कर रहे हैं झीर करेंगे । मत घबरापो, और :
जय कभी तथ्रीयत को किसी कदर तकली फू होने उसको |
मी खास दया समभो, क्योंकि यह कारखाना इसी ढंग |
पर है । इसमें चना खेंचा तानी मन के काम नहीं |
चलता, घ्पीर इसमें भी दया संग है इस कदर तकलीफ '
नहीं होगी कि जिसकी घरदाश्त न हो सके, क्प्रॉकि वे न
कभी घिना अपनी दूधा का हाथ लगाये हुए मन को |
नहीं ठोकते हैं । वेशक तन्रीयत बहुत घब्राती है पर |
उसमें फायदा समझो, यह मन इसी तरह गढ़ा जाता न
है, पीर कोई टिंन को यह तकली फू है। हजूर राधास्वामी )
दयाल घापनी मेहर और दया से शान्ती भी बखूशंगे |
थोड़े दिन सचर करो और जब तबीयत जियादूह ब- |
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