प्रेम उपदेश | Prem Updesh

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Prem Updesh by राधास्वामी ट्रस्ट - Radhaswami Trust

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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केश .ाए शीक़ और भाग की भी वेही अपनी मेहर से एक दिन मिटा देवेंगे । उन्हीं का भरोसा रखना चाहिये छरैर जो कभी अभ्यास के समय विशेष आनंद प्राप्त होवे, ' था कभी कोई सख तकलीफ सिर पर घ्ा पड़े, तो उसके बरदाश्त घर हजम करने की ताकृूत्त भी वेही शपनी मेहर से बखूर्शंगे ॥ . चयन २६ हुजूर राघास्वामी दयाठ की दया का भरोसा रक्खो | वे सब त्तरह सम्हालने वाले हैं और शव भी संब तरह | से रक्षा कर रहे हैं झीर करेंगे । मत घबरापो, और : जय कभी तथ्रीयत को किसी कदर तकली फू होने उसको | मी खास दया समभो, क्योंकि यह कारखाना इसी ढंग | पर है । इसमें चना खेंचा तानी मन के काम नहीं | चलता, घ्पीर इसमें भी दया संग है इस कदर तकलीफ ' नहीं होगी कि जिसकी घरदाश्त न हो सके, क्प्रॉकि वे न कभी घिना अपनी दूधा का हाथ लगाये हुए मन को | नहीं ठोकते हैं । वेशक तन्रीयत बहुत घब्राती है पर | उसमें फायदा समझो, यह मन इसी तरह गढ़ा जाता न है, पीर कोई टिंन को यह तकली फू है। हजूर राधास्वामी ) दयाल घापनी मेहर और दया से शान्ती भी बखूशंगे | थोड़े दिन सचर करो और जब तबीयत जियादूह ब- |




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