भजन संग्रह | Bhajan Sangrah

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Bhajan Sangrah by घनश्यामदास जालान - Ghanshyamdas Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रार्थना ड्‌ प्राथना क ¶१३ ++ स (४ ) राग आसावरी परम गुर राम-मिलावनहार ) अति उदार, मञ्जुल मङ्गलमय+असिमत-फल-दातार ॥ टूटी फूटी नाव पड़ी मम भीषण मव-नद धार । जयति जयति जय देव दयानिधि; बेस उतारों पार ॥ (५) राग देशी खमाच आयो चरन तक्र |सरन तिहारी | बेगि करों मोहि अभय; विदारी! जानि अनेक फिरयों भटकान्यो | अव प्रभु-पद्‌ छाड़ों न सुरारी ! ॥ मो सम दीन; न दाता तुम सम | भली मिली यह जोरि हमारी ॥ में हों पतित; पतितपावन तुम । पावन करु; निज बिरद सेभारी ॥|




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