बोधोदय | Bodhoday
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दिनेश आचार्य - Dinesh Aachary
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बोधोदय / १५
अच्छा भाई भ्रच्छा, फेफड़े लिए यहाँ पर नहीं भ्राया जा सकता--लैकिन
मेरे अच्छे-खासे फेफडे भ्रगर गल-गलकर बह जाये तो उसके लिए
तुम्हारी कोई जिम्मेवारी नहीं है ?
कस्टम्स के झादभी ने पूछा, “डिक्लेयर करने लायक कोई बैल्युएबल
दै क्या?”
ते वक्त भी यही बात पुछी गई थी । काफ़ी रोज पहले ्रास्कर
वादृल्डसे भी इन लोगों ने यहीं सवाल किया था । साहित्यिक ठहरे,
पसा जवाब दिया कि साम चाचा बेचारे का मुँह देखने लायक हो गया,
“निग ट् डिक्लेयर एक्सेप्ट माई टेलेन्ट ।“ वैसे म्रास्कर वाइल्ड जितना
मेरा नाम भले ही न हो लेकिन इसके माने यह नहीं है कि मुभमे टेलेट
की कोई कमी है । इसके म्रलावा श्रबकी वार, तुम्हारे इस देश से जो
चीज ले जा रहा हूँ उसे तुम इलंक्ट्रिक मशीन लेकर सचें करने पर भी
नहीं ढूँढ सकते । जादूगर पी० सी० सरकार की तरह श्रोपनली कहे
देता हूँ कि क्या लिए जा रहा हूं लेकिन फिर भी पकड़ नहीं पाझोगे ।
म्रनुभूति, माई डियर फ़ेड अनुभूति । लेकिन जरा मेरे चेहरे की भ्रोर
ताककर देखो--कंसा छोटे से वच्चे जसा मासूम चेहरा है । श्रे यह्
चोद जसा चेहरा ही तो मुभे बचाए है। जिस गधे ने लिखा था कि
चेहरा मन का दर्पण होता है, उसने हावडा के राजवल्लभ साहा सैंवेड
बाईलेन के श्रनिर्वाण चटर्जी को नही देखा ।
एमिग्रेशन काउन्टर पर के भ्रादमी ने वीसा की मोहर पर एक मरौर
मोहर मारने से पहले मेरी ग्रोरदेखा । प्ररे मले श्रादमी मेरीम्रौर इम
तरह क्यों ताक रहा है ? यह तो देख ही रहे हो कि म्राज तुम्हारे देण
मे मेरी झाखिरी रात है। श्राज रात के बारह बजने के बाद यहं रहत
पर तुम लोग हाय-तौबा मचाने लगोगे,। हो सकता है मजिस्ट्रेट की
अदालत में ठेल दो, या हो सकता है सरकारी खर्च से जवदंस्ती '्लेस की
सीट पर बैठा दो।
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