मोतियों वाले | Motiyon Wale
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मोतियों वाले १७
सरामदेमें दैठे हम अखबार पढ़ते रहे । सारी सुबह गुजर गई 1 दोप-
र हो सई! दमे सोने समय भा गया। दोपदरकों खानेके वाद
मेरी पत्नी जरुर सोती थी। पर कोई मी तो नहीं भाया । न एक
चार्दीका, न दूसरी पार्टीका, और न सीसरी पार्टीका 1
इस भभी तक प्रतीक्षा कर रे ये)
फिर भपने काम-काजसे अवकाश पाकर हमारे नोकर ुट्टीके लिए
गाये 1 रसोइया, भाया, माली, इष्वर, अर्ली, जमादार सय वोर देने
जा रहे थे । ने उनते पृथ किसको वोट दे रहे £; किनं छिसौके
सोय वादा क्या इभा था; किसोकों किसीकी सिफ़ारिश भाई हुई थी ।
कौट पन्द्रह मिनट प्रतीय कफे मेरो पली अन्द्रे सोनेके रिपु
ख शै । भौर सैंने सोचा बेकार बैठा कया करूंगा, भुकं चक्षर दतर
का ही लगा भाऊँ, भानकी डाक भाई होगी 1
आर् मं दपतर चल दिया । कोटो गेरके बाहर सदकपर जने देखा
कई रिक्शा खदेये। भीर सामने हमारादैराया, वैरेकी पत्नी थी ।
सपा थी. भायाका पति था । माली या, मालीकों दो घरवारलीं था ।
डाइवर था, द्राइवरका भाई था, भाईकी परनी थी । संस भर उसकी
सीरत थी । जमादार था, जमादारकी माँ थी, जमादारका पिता था;
जमादरकी लोन जवान बहनें थीं। भर किसी उस्मीदवारका पूजेण्ट
उन्हें पुक भोर खींच रहा था, किसी उम्मीदवारका एजेण्ट उन्हें दूसरी
भोर खचि राथा भोति वालो इधर भाओं” तीसरा उम्मीदवार
स्वपं उनके दाय ओद रहा या, 'मोत्तियोवाठो में खुद दाजिर हुआ हूँ,
स्वयं चलकर भया ह, मोतिर्योवालो...भौर देर से रिक्शा इन देर सी
चोटोंकी प्रतीक्षा कर रहे थे 1
मोत्तियो वटे १ भेला अपनी एक मावर वोध्ये तशं दष
दु्तरकी भोर जा रद सु यार-दार अपने राँदके रजवादीका फयास
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