चर्खा शाश्त्र | Charkha Shastra pahla Hissa

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Charkha Shastra  pahla Hissa by मगनलाल खुशालचंद गाँधी - Magnlal Khushalchnd Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चखाों दयास्त्र रूइं बहुत छंबे रेशे वाढी ओर मुलायम होती है । बढ़िया- पने में दूसरे दर्जे अमेरीका है। खेती बहुत संभाल के साथ होने से वहां की रू सधर गयी हे । हिन्दुस्तान में नमदा नदी का प्रदेश कपास की खेती के लिये बहुत मुवाफि क है । इसलिये वहां का कपास रंशेक्री लंबाई और सुलायमियत कं लिये मशहूर दे । कपास की खासियत में हिन्दुस्तान आज तीसरे दर्जे है । इतना ही नहीं बल्कि फी बीघा सरासरी चैदावार भी यहां बहुत कम होती है । आखिरी औद्योगिक कमीशन के विवरण के मुताबिक हिन्दुस्तान में फी एकड ९० रतढ ४० रु० भर का १रतल अमेरीका में २०० औौर मिश्र में ४७५० रतल रूह उतरती है इस से मालूम पढ़ता है कि हिन्दुस्तान में कपास की. खेती कितनी गिरी हुई हालत में हैे। एक वक्त ऐसा था जब कि हिन्दस्तान में २५० बल्कि उस से भी ज्यादा बारीक अंक के सत कंतते थे। उस बारीक सत की मल्मल दूरदर के दंधों में जाती थी । विलायत में उसको सुबह की शबनस 010एफॉएए सेट मकडी की जाल . अछूतिलटन फाएी . ऐसे शायराना नाम दिये जाते थे । ऐसे. हनर का कसे नाश दवा इस का इतिहास तो सशदर दी हे । यहां पर उस में उतरने की जुरूरत नहीं हू । इस इनर के नादा के साथ ही कांतने की कठा का तो नाश हुवा ही छेकिन ऐसा बारीक सूत जिस खूई में से कंतता था उस की फसिल की भी अधोगति हो गई।




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