आँसू भरी धरती | Aansu Bhari Dharti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.31 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)च्याँसू भरी घरती ः ५ माँ साँ मैं तुम्हारा प्रहरी रहूँगा । हाँ अग्नि की वर्षो में भी तुम्हारे मन्दिर का द्वार किसी को तोड़ने नहीं दूंगा। . चायु में जा प्रलय का स्वर गूंज रहां है दूर शीर समीप से जो अख-शस्तरों की मनकार शा सदी है समुद्र तथा प्रथ्वी पर जो सृत्यु की सेना घिर रही है वह थक कर झन्त में . मूर्लिखित हो जाधगी । - माँ उस संसयं मैं. आइततों के लिए. तुम्हारे स्नेह और शान्ति का. अंग्त बादँगा.। माँ मैं तुम्हारा प्रहमरी रहूँगा |.
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