मानव | Manav

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Manav by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नन्टलाल के श्रतिरिक्त एक श्रौर सुन्शी भी था, परन्तु न तो वकील साइव उससे सन्तुष्ट ये और न ही ग्राहक उस पर विश्वास करते थे । इस कारण जब नन्दलाल श्राया तो ग्राहक उसको घेर कर खड़े हो गए । नन्दलाल की दृष्टि सदेव यह देखती रहती थी कि कोई नया ग्राहक आया हे श्रथवा नहीं । श्रा भी एकं नया ग्राहक दिखाई दे रदा था । नन्टलाल ने सबसे पहले उससे ही बातचीत की । उस च्राढमी ने श्रपनी वात बताई, “मेरा नाम मीरीलाल है | मेरे फूफा ने युको गोद लिया था, परन्तु लिखत-पढत कुछ नहीं की गई । पडोसी श्र सम्बन्धी गवाही भर देंगे । “पेरे फूफा का नाम लाला सूरजभान था । उनका देहान्त हो न्लुका है। उन्होंने लगभग टस लाख की सम्पत्ति छोडी दै] श्रव उनके मतीजे क्षेमचन्द्र और सुमनलाल ने उनके उत्तराधिकारी घोषित किये चानें का दावा किया है | “प्मुकको इस बात की सूचना मिल गई है। में इस घोपणा को स्कवाना चाहता हू श्रौर साथ ही श्रपने को लाला जी का उत्तराधिकारी घोषित किये जाने का प्रबन्ध करवाना चाहता हू ।?? ““इसके लिए. यत्न किया जा सकता है श्रौर सफलता की पूरी श्राशा भी की जा सकती हे । पहले तो श्राप वकील साहब की इस मुकदमे में सम्मति की फीस पॉच सो रुपया श्र मुन्शियाना पचास रुपया जमा कराते | नन्दलाल की बात सुन मीरीलाल ने विष्वार कर एक घण्टे मे स्पया क जमा कराने की बात कद दी श्रौर नन्टलाल दूसरे आदकों से मिलने लगा । ठीक श्राठ जे घकील कवरसेन कार्यालय मे श्राया ग्रौर नन्दलाल ` . मुकदमे की फाइल लेकर भीतर कार्यालय मे वला गया ] कैःव॒र्सेन कुदं चिन्तित प्रतीत होता था । इस कारण नन्दलाल ने पूछ लिया, “सरकार ! श्राप कुछ त्रस्वस्थ प्रतीत दो रदे है । ग १७




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