फल, उनके गुणा तथा उपयोग | Fal Unake Gun Tatha Upyog

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Fal Unake Gun Tatha Upyog by बाबू केशवकुमार ठाकुर - Babu Keshavkumar Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीचन-शक्ति पु के भोज्ञन में प्रयाग किये जाते हैं। इनमें से किसो के सम्बन्ध में मी यदद नहीं कहा जा सकता कि चद्द उत्तम है घदद खराव है चदद शक्ति-चद्धांक है श्रीर चह ददानिकारक है। चास्तव मैं जो जिसका शोजय पदार्थ दे चद उसी के लिप दितकर शक्ति- यदक ध्ौर लामकारक है । निरय्थक पदार्थी में सब से श्रधिक मिट्टी दी मानी जा सकती है किन्तु वह मिट्ठो फितने ही प्राणियें ध्योर जीवों का भोज्य पदार्थ दे और उसी से उनकी जीवन प्प्त होता है। घृत श्रम्रत पदार्थों में गिना जाता है किन्तु इसकी गंध मात्र से कितने दी जोचों की सत्पु दोती है। इसीलिए काई पर्क पदार्थ सभी के लिए उत्तम श्रौर सभी के लिए ख़राब नहीं दो सकता 1 यहाँ पर चताना यद्द था कि श्रपने नै्त गिंक गुणों के भूल जाने के कारण मनुष्य-ज्ञाति श्रपने भोजनां की व्यवस्था का भी भुला बैठी है । यद्द ऊपर बताया जा चुका है कि इस प्रकार का ज्ञान प्रति ने स्वमावतः सब को प्रदान किया दै। उन समस्त नैसमिंक गुणों के मानव जाति से श्रन्तहिंत दो जाने का कारण यह दे कि मनुष्य श्वपने जीवन में विकास की श्रोर श्यागे बद रहा है वदद जो कुछ ज्ञानता है उसी पर उसे सन्तोप नहीं है। जो शक्तियां उसमें विद्यमान हैं उन्हीं के वह श्पने लिए पर्यात्त नहीं समझता । इन बातें के लेकर उसने श्रपने जीवन में इतना उलद-पलर कर डाला है जिससे चद प्राइतिक जीवन से बहुत दूर दो गया है श्रौर श्रनेक चातों में उसने श्रपने नैलगिंक गुणों शऔर पुरुपार्थो के खे। दिया है । विपयान्तर हे जाने के डर से झधिक विस्तार में न ज्ञाकर थदि सोजन के सम्बन्ध में दी 1विदार किया जाय तो इन बातों का स्पष्टीकरण दो जाता दै । हमसाँस-मदिरा से मजुप्य वें स्वाभाविक अरुचि श्रौर घृणा होती एहै। जिन प्चिरों में माँस खाया जाता है. उन पर्याय के




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