नाक में दम | Naak Me Dum
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ पहला 5 ड
টি 4०
सकल मनांकाप्रना सिद्ध ह्यो जाती है । कोद सत्य भावसे
उनका स्मरण भी तो करे ।
मुसीवत०--अगर ऐसा है, तो कहिये अपनी शादीफै
लिये उनका फिर ध्यान कह १
१-२०३-४-संन्यासी--अर्यथ | इस अवस्थामें विवाह |]
मुसीबत०-- क्यों क्या, हज है? तुम छोग तो णेसे
चकराये कि जेसे में फांसीपर चढ़ने जाता हूं ।
१पसंन्यासी - दाताजी, इस अवस्थामें अथ अपनी
मुक्तिके लिये ईशएथरका ध्यान फीजिये। इस छोकसे संबन्ध
तोड़िये | अपना परकोक बनाइये ।
«4. ४ खंन्याली-- इस अवस्थाम विवाहकी चेदी५८ चढ़ना
फाँसी घढ़नेसे भी कठिनतर है। क्योंकि इसकी फंसरी
तो कुछ ही घड़ीमें छूटकारा दे देती है; परन्तु उसकी
फौसरी शिरपर चिन्ताओंका दोप पहनाकर सर्वेच दम धोंदती
रहती है। ओर---
“चिता चिन्ता समाध्ुक्ता बिन्दुमात्र विशेषत/।
सओीयै दहते चिन्ता निर्जीवं दषते चिता ॥#?
३ संभ्यासी--हा भारतमाता { जं तेरे पश्र जघ
चुश्धाधध्थाको प्राप्त होते थे, संसारके फगड़ोंसे दुर भागते
थे | पश्थेतों और तपोचनोंकोीं निफल काते थे ओर पकास्तं
=
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