कल्याण उपनिसद अंक | Kalyan Upnishd Ank
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
54.74 MB
कुल पष्ठ :
834
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
चिम्मनलाल गोस्वामी - Chimmanlal Goswami
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हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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किन खवीतीत सौर सवेफारण-स्वरूप तथा उसके जाननेका फल कै न
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सब भूर्तोमं छिपे इए हैं. दिव--कल्याणगुर्णोसे युक्त
जान उन्हीं प्रमुक्तो होता नर सब मवकें बन्घनसे मुक्त ॥
(५)
एव देवों विश्वकर्मा महात्मा
सदा जनानां _ हृदये सन्निविद ।
हृुदा मनीपा मनसामिझपा
य.. एतद्विंदुरछतास्ते सवन्ति ॥
दी देव विश्वकर्मा हूं परमात्मा सबके खामी;
सब मनुजेकि सदा इृदयमें बसे हुए अन्तर्योमी ।
इंदय; बुद्धि, मनसे चिन्तन हो, तब इनका हो सक्तात्कोर
इस रहस्यको जान गथ जो जन्म-त्युसे होते पार ॥
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(६) (7
तमीश्वराणां... परम महेश्वरं ण दे
देवतानां परम देवतम् । पद
पर्विं पतीनां . परम परस्ता हद
डिदाम . देवें.. खवनेशमीव्यय॥ . -...
इन्द्र आदि. ऊोनेश्वर जिनको परम महेस्वर जान रहे; रद
अन्य देवगण भी जिनको निज परम देव है मान रहे । म्
पतियेंकि भी पूज्य परम पति जगदीखर जो स्तुत्य महान, ः
वन. प्रकाशमय परमदेवको समझा हमने. सर्वेप्रघान ॥ रद
(७)
नतस्थ कार्य करण च विद्यते दि
न. तत्समश्ास्यधिकंतर दुच्यतें । एच
परास्य दाक्तिर्विविधेष
खामादिकी ... शानवलार्केया चर दर 2
देह और इन्द्रियसे उनका है सम्नन्ध नहीं कोई; प
अधिक कहीं; उनके सम भी तो दीख रहा न कहीं कोई । तु
न्ञानरूप, वल्रूप; क्रियामय: उनकी पण शार्फि भारी, घ्
विविध खूपमे छुनी गयी हैं; स्वाभाविक उनमें सारा ॥ हु
हद पु
न तस्थ कश्चित्पतिरस्त ठोफे रिए
न चेकिता नें च तस्त लिसम् । गा
स॒. कारण करणाधिपाधिपी ग
न् चास्स रुथिजनिता न प्दाधिप ॥।
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