हिन्दी कहानियों की शिल्प विधि का विकास | Hindi Kahaniyon Ki Shilp Vidhi Ka Vikas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-प्रवेश कहानों में यह व्याज्पा अनुभृति और लक्ष्य, इन दोनों रुपों में अत्यन्त स्पष्ट है। कहानी की रचना में जिस तरह अनुभूति उस के तलों में दलतो जाती है, वही उसकी टेकनीक हैं। दूसगे ओर एक निश्चित लक्ष्य अथवा एकान्त प्रभाष की पूर्ति करे लिये कहानी की रचना में जो एक विधानात्मक मक्रिया उप- ध्थित करनी पड़ती £, यौ उम की शिज्पविधि हैं । इस तरह सुजन की दृष्टि से इद्ानी की ग्रेग्णा दो पत्तों से आती है । एक और, कहानी अनुभूति की प्रेरणा से अपनी सृष्टि कराती है, दूसरी ओर लक्ष्य की प्रेरणा से, शरीर सम्यक दृष्टि से दोनों की प्रेरणा कसी न किसी अनुपात में कद्दानी की रचना में विश्वमान रहती है । क्योंकि कहानी में अनुभूति की अभिव्यक्ति के लिए उस के अतुरूप एक लक्ष्य की कल्पना करनी पढ़ती ऐै, और लक्ष्य के स्पष्टीकरण के लिए एक मृल्भाव का सद्दाया लेना पढ़ता हैं 1 उदादस्ण स्वस्थ, किसी तरुणी विधवा में प्रेमानुभूति को ले कर जैसे, कोई कद्दानी लिखनी हो, इसके लिए! कद्दानीकार को प्रथमतः उस के अनुरूप एक कथावसतु लेनी दोगी, फिर चरित्र लेने होंगे, चरित्रों के प्रकाश में विधवा का चरित्र-विश्लेषण, व्यक्तित्व-प्रतिष्ठा और उस का मानसिक उहापोह उपस्थित कसना होगा। कथायस्तु ओर चरित्र की कल्पना के उपरांत कहानी का रूप आरम्भ होगा और यहाँ से कहानी भें शेलीगत समत्या अआयेगी । शैली के अन्तर्गत कद्दानी की रुपशैली अथवा निर्माणशेली के प्रश्न खड़े होगे । श्र्थात्‌ कद्दानी किस पुरुष में (उत्तम, मध्यम अथवा अन्य पुरुष) लिखी जाय, पिर ऐतिदासिकता के सहारे से लिखी जाय, या चिन्तन के सहारे यथा किसी अन्य माध्यम से इस का आरम्स हो, और इस की चरम सीमा कैंसी हो ? चसतुतः रूप विधान के ये सभी प्रश्न, शेली के व्यापक प्म खाते हूँ | इस के साथ ही साथ कहानी-निर्माण में शेली का सामान्य নন भी आता है, जैसे वर्णन, चित्रण, वातावर्ण-निर्माण, गद्यशैली ओर कथोपकथन आदि । शैज्ी के इन्हीं दोनों पत्तों के प्रकाश में कहानी अपने व्यावहारिक रूप में सामने आती है | देश-काल-परिस्यिति का निर्माण होता है, चरित्र अपने मूर्सरूप में सामने आते हैं, अपनी सजीवता के साथ मानवन्कार्य व्यापारों में रत हो जाते हैं, घटनाएँ उपस्थित करते हैं । सुख्य भाव, मुख्य अनुभूति, घटनाओं, मानवो ब्यापारों के सहारे उत्तरोत्तर स्पष्ट होती जाती है। विधवा के प्रति प्रेमालु- | 016 2101 5075, 5 96810 (808810) 0225 212 950, ]81055 15811000 1949




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