दूसरा दरवाजा | Doosara Darawaza

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Doosara Darawaza by लक्ष्मीनारायण लाल -Laxminarayan Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रीवा: हेमा :जया :भालती :भालती : जया : मालती : रीता : मालती : जया :हेमा :जया : रीता: हेमा : मालती :हाय, मेरी मीलम परी !हुकुम की वेगम ! उसके चारों शोर कुसियां खोंचकर बंठ जातो हैं +तुम्हारे दांत कितने खूबसूरत है,* कितने है तीस याबत्तीस । ज़रा मुंह खोलो *'गिने तो 1 हियह क्‍या बदतमीज़ी है ? तीनों उसे पकड़कर उसका मुंह खोलती हैं। दांत गिमने के बजाय उसके मुह में कुछ डाल देती हैं।थू“'थू “नानसेन्स*“आवाण**!बिगड़ती क्‍यों हो ? लो मेरे दात गिन लो !तेरे मुंह से सिगरेट की बदबू आती है।हाय, सब्जपरी के मुंह में तो दूध भरा है !मैं भ्रभी रिपोर्ट करती हूं प्रिसिपल से !मालूम है हरीसिह गुंडे का नाम“*““दिन-दहाडँं उठवादूगी यहां से । बड़ी सती सावित्री बनती है !हाय, इसकी कमर ती देखो ! तोनों उसकी कमर में चिकोटो क्ाटतो हैँ 1 चहू भागतो है। दौतों ओर दरवाजे पर लड़कियाँ पड़ो हो जाती हैं।इस कमरे से बाहर नहीं जा सकती 1कसम खाओो “हमारी रिपोर्ट नही करोगी ।मेरी कोई शिकायत नही !कहूंगोसा् स्पाटफ्रेहफोड, यह मेरा कालेज है।**'मेश होस्दल ।.. * केवसोठु्म औरे हम * २३




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