बहिरंग - योग | Bahirang Yoga

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ड् यम-भहिसा प्रथम श्रद्धणयम योगाज्--योग के अज्ञो के विपय में श्राचार्यों की भिन्‍न-सित्त हैं। जैसे-- प्राणायामस्तया ध्यानं प्रत्याहमारोध्य घारणा सकंइचेव समाधिइच पडड्रोयोग उच्यते 1 दक्षस्मूत्ति श्र० ७ शी द अथत्‌--प्राणायाम ध्यान प्रत्याह्वार धारणा तर्क झौर समाधि में १ गा योग वे हैं १ अन्यत्‌-- शासन प्राणसरोध प्रत्याहारोश्य धारणा ध्यान समाधि योगस्य पडज्गनि समासत- । | विप्णुपुराण श्र० ३७ स्लोक 16 अर्थात्‌--भ्रासन प्राणायाम प्रत्याह्ार घारणा ध्यान समाधि ये ६ के अद्ध हैं । घम-- यम कितने है इस विपय में भी भिन्न मत हैं । यथा-- झहिसा.... सत्यमस्तेथमंसद्धो _ ह्लीरसचय झ्रास्तिक्य ब्रह्मचर्य च सौन स्पथोर्य क्षमभवन । आगवत स० ३३ झ० २० इसो ० २1 ही अ्र्यात्‌--परहिसा सत्य झस्तेय असद्भता लज्जा संग्रह न करना वे ईयर झात्मा में विश्वास जह्मचर्य सौन स्थिरता क्षमा अभय ये १२ यम मी हैं ॥ ग्रन्यत्‌--- ऑाहिसा सत्यपमस्तेय सहदाचये कसाघृति दयाध्जंव मिताहार झौच चेद यम दद्दा । पाराघर सहिता अर्थात्‌--अहिसा सत्य अस्तेय जह्दचर्पे क्षमा घूत्ति दया सरलता




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