फूल बच्चा और ज़िन्दगी | Phool Bacchha Aur Zindagi

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Book Image : फूल बच्चा और ज़िन्दगी  - Phool Bacchha Aur Zindagi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रपनी जात ] ११ कहानी जन्म लेतो है जैसे रौशनी की बाढ़ उमड़ ग्राती है । कुछ कहानीकारों के जीवन में यह क्षण जल्दी २ आता है और कुछ के जीवन म बहुत धीरे रि शरोर कमी कमी । जो लेखक इस केण के निना द लिखते चले जाते हैं क्यों कि वह लेखक है और लेखक को कुछ ন ভব লিন रहना चाहिए. वरना आालोचक साहित्य में गतिरोध श्रीर मतिरोध का नारा लगा देंगे जो वे लेखक नहीं चाहते | ऐसे लेखक “आटो मेटक' हैं | कुछ लेखक इस क्षण को निकट लाने के लिए प्रर पीते ह, चाय पति हे, काको पति ई, शरात्र पीते ह तव लिखते है । बं श्रपे म महतं है लेन साहित्य रचना में कुछ और ही पीना पढ़ता है, जिसे लोग जिगर का खून कहते हैं । हम में से कितने जिगर कर खून थी सकत हैं। यह में नहीं जानता। लेकिन यह अवश्य जानता हूँ कि इसके बिना महान रचना सम्भव नदीं। ग्रपने सपरन्ध मे इतना क्‌ सकता हूँ कि इसके ज़िए श्रमी वर्षों की साधना की श्रावश्यकता है श्रौर इत में अपने सामर्थ्य के अनुतार प्रवल्षशील हू--औरर यह संग्रह उसी प्रथल का परिणाम सर्प है। देवेन्द्र इस्सर ऐच ३९५, न्यु राजेन्द्र नगर नयी देहली




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