बया का घोंसला और साँप | Baya Ka Ghonsala Aur Sanp

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Book Image : बया का घोंसला और साँप  - Baya Ka Ghonsala Aur Sanp

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रोते हुए. नन्‍्हें को अपनी गोद में लिए हुए पल्नैंग पर लेटी हैं লল্তা सो नहीं रहा है और प्रभा जी उसे सुलाने के प्रयत्न में हैं | बरामदे . मेँ गीता तस्वीरों से भरी हुईं कोई किताब उलट-पुलट कर देख रही है उस की घ्ंघराती अलकें बार-बार उस के मुंह तक आ जाती हैं ओर वह है कि गे हई ; अलके अनायास कुछ चरणो के जिए उस के सरके घघराले बालो से सिमट जाती हैं | चौके में एक ओर रत्ती बैठी हुई श्राया _ गुँथ रही है और दूसरी ओर आग के सामने विधवा पारो बुआ बैठी खाना बना रही है | बुआ पसीने से तर है और वह बार-बार अपने सते- द आँचल से मंह के पसीने को पोछुती हुई सोच रही है---हाय ! अब




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