प्रज्ञापना सूत्र | Pagyapana Sutra

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Pagyapana Sutra by ज्ञान मुनि जी महाराज - Gyan Muni Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तृतीय उद्द शक चौवीस दण्डक्क्ती जीवों मे उत्पाद-उद्वर्तन-प्ररूपणा २८२ लेश्यायुक्त दण्डकवर्ती जीवो मे उत्पाद-उद्वत्तन-प्ररूपणा २८३ कृष्णादि लेश्या वाले नैरयिको में श्रवधिज्ञान-दर्शन से जानने-देखने का तारतम्य २९० कृष्णादि लेश्यायुक्त जीवों मे ज्ञान की प्ररूपणा २९३ खतुचे उदद शक चतुर्थ उददेशक के अधिकारों की गाथा २९५ लेश्या के छह प्रकार २९५ प्रथम परिणामाधिकार २९५ द्वितीय वर्णाधघिकार २९९ तृतीय रसाधिकार ३०३ चतुर्थ गत्धाधिकार से नवम गति-श्रधिकार तक का निरूपण ३०७ दशम परिणामाधिकार ०८ ग्यारहवे प्रदेशाधिकार से चौदहवेस्थानाधिकार की प्ररूपणा ३०१ पत्द्रहुवाँ श्रल्पबहुत्वद्वार ३१० परचम लेश्यापद लेश्याश्नों के छह प्रकार ३१४ छंठा उह शक लेश्या के छह प्रकार १८ मनुष्यों मे लेश्याश्रो की प्ररूपणा रे१्८ लेश्या को लेकर गर्भोत्पत्ति सम्बन्धी प्ररूपणा ३२१ झ्ठारहवाँ कायस्थितिपद प्राथमिक देर कायस्थितिपद के वाईस द्वार रे२६ प्रथम-द्रतीय जीवद्वार-गतिद्वार द२६ तृतीय-इन्द्रियद्वार ३३० चतथे कायद्वार ३३४ पंचम योगद्वार ३४१ छठा वेदद्वार ३४३ सातवाँ कषायद्वार ३४७ अआठवाँ लेश्याद्वार ३४९ नौवाँ सम्यक्त्वद्वार ३४२ दसवाँ ज्ञानद्वार ३४ ग्यारहवाँ दर्शनद्वार ३१४७ बारहवाँ सयतद्वार रेश्८ [ रै६ |




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