कर्मग्रंथ भाग-6 | Karmgranth Bhag-6

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Karmgranth Bhag-6 by मिश्रीमल जी महाराज - Mishrimal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३) स्थायों और गत्तास्थाना का स्वतत्र रूप से व जीवरामास, गरुणस्थानो और मागणास्थाना के आश्रय से विवेचन क्या गया है और अत मे उपशमविधि और क्षपणविधि बतलाई है 1 पर्मो की यथासमव दस अवस्थाए होती है। उनम से तीन मुख्य हैं-- बाघ उत्य और सत्ता | दोष अवस्थाओ वा इन तीन म अतर्भाव हो जाता है । इसलिए यदि यह बहा जाय वि ग्रथ में थर्मों की विविध अवस्थाआ उनके भेदों का इसमे सागोपाग विवेचन किया गया है तो कोई अत्युक्ति यही होगी । ग्रथ बा जितना परिमाण हे, उसको देखते हुए वणन करने वी शैली बी प्रगसा हो करनी पड़ती है। सागर फा जल गागर मे भर दिया गया है। डतमे लघुराय पग्राथ मं विशाल और गहन विपयों का विवेचन कर देमा हर किसी वा काम नहीं है । व्ससे ग्रथवर्ता और ग्र थ--टोनो वी महानता सिद्ध होती है । पहली और दूसरी गाथा म विषय री सूचना टी गई है। तीसरी गाया में आठ मूल মী सवेध मग বলা चौथी और पाँचवीं गाया म श्रम से जीवसमास और गुणम्थानों में इनवा विवेचन विया गया है। छठो गाथा में लानावरण और = तरायक्म क अवालर भेदा थे सर्वेध भंग बतलाय ?। सावो से नौवी गाधा थे पूर्वाद्ध तब ढाई गाया भे दशनावरण के' उत्तरभेटो मे सबंध मग बतलाय हैं और नौवी गाया के उत्तराद्ध मं वत्नीय आयु और गोत्र सम ने रावेघ मगो वे बहने वी सूचनामात्र बरब भोहनीय मे भग बहने की प्रतिषा वी गई है । दमवी से लेपर तेईसदी गाया तक मोहूनीयक्म वे औौर चौवीसवीं से सकर वत्तीसवी गाया तब नामयम थे वधादि स्थानों व उनके सर्वध भगो वा विधार किया गया है। इसपे अनातर तंत्तीमवी से लंपर बावनवीं गाथा त्तव अगाएर प्रशृतियों व॑ ययत सयेघ भगों को जीवसमासों और गुणस्पानों में पटित वरब बतताया गया है। भेपावी गाया मं गति आरि मागणाओ ने साथ सत आदि आट अनुपोगद्वारा म उहूँ घटित बरा यो सूचना दी गई है। इसमे अनतर यप्य विषय वा क्रम बत्लता है। घोयनवीं गाया मे उदय से उध्ैरणा क॑ स्थामी नी विरेषता को बतपाने के घाट परयपनवी गाया में ४१ प्रशयां बतताई हैं. जितम विशेषता है। पर्यात्‌ एप्पत से उनसठवीं गाया सवा




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