राजस्थानी हिंदी कहावत कोश | Rajasthani Hindi Kahavat Kosh

Rajasthani Hindi Kahavat Kosh  by विजयदान देथा - Vijaydan Detha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-थोड़ी बात का ज्यादा दिखावा करना । --बड़ा दिखने के लिए मिथ्या प्रदर्शन करना । जांन नै केवे सावचेत अर धाड़ ने केवे वार चढ़ो । ४९७७ बरात को कहे सावधान रहो और डाकुओं को कहे हमला करो । --वेसी ही कहावत है--चोर को कहे घुस और कुत्ते को कहे भुस । मतलब कि भॉंक । --दोगले व्यक्ति का चस्रि जो दोनों ओर के विरोधियों से कृत्रिम हमदर्दी का दिखावा करता हो। जांन में ऊदा ने मरण ने दूदा । ४९७८ बरात में ऊदा और मरने को दूदा । -राठौड़ राजपूतों की विभिन्‍न उपजातियों में ऊदा और दूदा भी प्रमुख हैं । जो राव ऊदा और राव दूदा के वंशज हैं । दूदा जाति के राठौड़ बड़े बहादुर और साहसी माने जाते हैं । और ऊदा जाति वाले ऐश करने वाले और बड़े शौकीन माने जाते हैं । इसी संदर्भ में दोनों शाखाओं के लक्षण बताये गये हैं कि--जांन में ऊदा ने मरण में दूदा । कर --जब कोई व्यक्ति अवांछित पात्र को तो लाभ पहुँचाये और परिजनों को दूर रखे तब व्यंग्य में इस उक्ति का प्रयोग होता है । जांन में कुण-कुण आया ? के वींद अर वींद रो भाई खोड़ियो ऊंट ४९७९ अर कांणियो नाई । बरात में कौन-कौन आये कि दूल्हा और दूल्हे का भाई लैंगड़ा ऊँट और काना नाई । -जिस व्यक्ति के स्वार्थ का दायरा केवल अपनों तंक सीमित हो और लोक-लिहाज-वश भी दूसरों की कुछ परवाह न करता हो । किसी प्रतिष्ठित आयोजन के उपयुक्त प्रतिनिधियों का जुड़ाव न हो तब परिहास में ..... जांन में मांझी कुण ? ४९८० बरात का मुखिया कौन ? राजस्थानी-हिंदी कहावत-कोश + १२३४




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