साकेत - सन्त | Saket - Sant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)> संदती दै तो रस्य खुल लता दै!
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न्यास জী জিকা ह, उसकी समृद्धि द क्रि लिये;
लर निज ऋय के वरस क पाता हैं.
बना विश्व जयः
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अर कर आरत भरतस गाता. हैं. १0
सपमी एकं सम॑ ह, उन्हीं. की আজ विष्व य
जन में जनादेन की व्योति निस्य जागी दें.
सीर अलु इस. भांति जिसकी ই हुई)
चवर जगत बही तो बड़भागी हे)
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त्यागी है.)
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