रवीन्द्र - साहित्य भाग 3 | Ravindra Sahitya Bhag 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.15 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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No Information available about धन्यकुमार जैन 'सुधेश '-Dhanyakumar Jain 'Sudhesh'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दाढिया. ; कहानी ट्व
की गई। उस बिपत्तिके समय, छोटी लड़की अमीनाको उन्होंने
स्वयं नदीमें पटक दिया । बड़ी छड़कीने अपने-आप आत्मह्या
कर छी । ममठी लड़की जुलेखा अपने पिताके खास और
विधवस्त खिद्मदगार रहमत अलीके साथ तेरकर निकल गई ।
और शुजाने लड़ते-छड़ते अपनी जान दे दी ।
अमीना नदीके बहावमें बहकर देवयोगसे जल्द ही एक
'घीवरके जाठमें उठभ गई; और धीवरने उसे तुरन्त ही निकाछ
लिया । उस धीवरके घर दी वह पढी और बड़ी हुई ।
इस बीचमें बूढ़े राजाकी ग्रत्यु दो गई ; और युवराज गंद्दीपर
बैठे ।
पु
एक दिन सबेरे बूढ़े घीवरने आकर अमीनाको डॉटकर
'कहा--“चिन्नी 7” -'घीवरने अपनी अराकानी भाषासें अमीनाका
नया नाम रखा था 'तिन्नी' । बोला-'“विन्नी: भाज सवेरेसे
तुमे हो क्या गया है' ? काम-धन्वेमें बिठकुछ हाथ ही नहीं
'छगाया ? नये जाठमें गोंद भी नहीं छगाया; हमारी नाव--”
असीनाने घीवरके पास जाकर बड़े प्यारसे कद्दा-“बाबा, आज
मेरी बहन आई है; बहन ! इसढिए आज छुट्टी मना रही हूं !”
“अरे | तेरी बहन कहाँसे आई री ?”
जुलेखा न-जाने कहाँसे निकठ आई ; बोठी--“में हुं; में !”
बूढ़ा दंग रह गया। और फिर, जुदेखाके बिठकुछ पास
आकर गोरसे उसका मुंह देखने छगा ।
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