जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग ४ | Jainendra Siddhant Kosh bhag 4

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Jainendra Siddhant Kosh bhag 4  by जिनेन्द्र वर्णी - Jinendra Varni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दालाका पुरुष ए दी दर ७ तछ /'क जन &. पर ८ ७. ७. ०... कं सनम सा. यापयदसरितं या स्टसिर दर पुरुपीका मोक् प्राप्त सम्बन्धी नियम । दालाका पुरुपोंका परस्पर मिलाप नहीं होता । दालाका पुरुपोंकि शारीरकी विशेषता । एक क्षेत्रमें एक ही तज्जातीय दाठाका पुरुष होता है | -रदे. चिदेहमें त्रि. सा, । चरम शरीरी चौथे कालमें ही उत्पन्न होते ई । दे, जन्म ४ । अचरम शारीरी पुरुपोंका अकाल मरण भी सम्भव है। दे, सरण/४1 तीर्थंकर । --वै. तीथौकर । गणभर चौथे कालमें हो उत्पत्त होते है । -दे, जन्म/४1 द्वादश चक्रचर्ती निर्देश चक्रचर्तीका लक्षण | सलाम व पूर्व भव परिचय । वर्तमान भवरें नगर व माता पिता । वर्तमान भव शरीर परिचय । कुमार कालादि परिचय ! वैभव परिचय । चीदद्द रत्न परिचय सामान्य ! चौदह रत्न परिचय विशेष । नवनिधि परिचय । दका प्रकार भोग परिचय । सक्रवर्तों की विभूतियोंके नाम । दिग्विजयका स्वरूप । राजधानीका स्वरूप हुढावसर्पिणीमें चक्रवर्तीके उत्पत्ति काठमें कुछ अन्तर । चरक्रव्तोकि शरीरादि सम्बन्धी लियम । -दे, दालाका पुरुष|१/४ ४ नव चछदेव निर्देश पूर्व भव परिचय । वर्तमान मवके नगर व माता-पिता । वृतमान भव परिचय । बलदेवका वैभव । | चलदेवों सम्बन्धी नियम । नव नारायण निर्देश पूर्व भव परिचय । वर्तमान भवके नगर च माता-पिता । वतेमान शरीर परिचय । - कुमार कालादि परिचय । नारायणोंका वैभव नारायर्णोंकी दिग्विजय । नारायण सम्बन्धी नियम । जैनेन्द्र सिद्धान्त कौश भाग बनर १. शलाका पुरुष सामान्य निर्देश ः प्रतिनारायण निर्देश साम व पूर्वेमव परिचय । वतंमान भव परिचय 1 प्रतिनारायणों सम्बन्धी नियम । नव नारद निर्देश वर्तेसान नारदोंका परिचय 1 तारदों सम्बन्धी नियम । 'एकादुश रु निर्देश नाम वे दरीरादि परिचय | कुमार काछादि पंरिचय । रुद्रों सम्बन्धी कुछ नियम । रुद्र चौथे काले ही उत्पन्न होते है । -.दे, जन्म/४ । -| चौबीस कामदेव निर्देश | चौवीस कामदेवोंका नाम निर्देश मात्र । कामदेव चौथे कालमें हो उत्पन्न होते दे | -दे जन्म/ध६ | सोलह कुककर निर्देश वर्तमान कालिक कुलकर परिचय । कुलकरके अपरनाम प उनका सार्थक्य । पूर्नभव सम्बन्धी नियम । पूर्वभव्सें सयम तप आएठि' सम्बन्धी नियम ।. उत्पत्ति व संख्या आदि सम्बन्धी नियम । मावि दालाका पुरुष निर्देश कुलकर, 'चक्रव्ती व वल्देव निर्देश | नारायणादि परिचय ।. १. दालाका पुरुष सामान्य निर्देश १. इड शलाका पुरुष नाम निर्देश ति, प.४/४१०-४१९ एत्तो सलायपुरिसा तेसट्री सयलभवणविवख़ादा । जाघति भरहखेते णरमोहाकेण 1५१० तित्ययरचक्कबलह रिपडिसत्तु णाम विस्प्वदा कमसो। बिउणिय्नारसनारस पयर्थणिधिर घसंखाए 15११ अब यहाँसे आगे ( अन्तिम कुलकरके पश्चात्‌ ) पुण्योदयसे भरतसेत्रमें मनुष्योंमें श्रेष्ठ और सम्पूर्ण लोकमें प्रसिद्ध तिरेसठ दालाका पुरुष उत्पन्न होने लगते है 1/९१० ये दालाका पुरुष तीर्थ कर १४, चक्तवर्ती १९, बलभद्र ६, नारायण £, प्रतिदान्नु £, इन नामोंसे प्रसिद्ध हैं । इस प्रकार उनकी संख्या ई३ है 1६११1 ( त्रि, सा /८०३ १), (ज प.रिशि७ि्ि-शट४ ). ( गो, जी जी, प्र ३६१-३६९/-७७३/३) । ति पथि/श१४६; १६१६ हुंडावसप्पिगी स। एक !१६६९४। दुस्सम- सुसमे काले अट्टावणा सलायपुरिसा य 1९ ६१६। « हुडावसर्पिणी काल- में ६८ ही दालाका पुरुष होते है। रे. १६९ दाछाका पुरुष निर्देश ति, प /४/१४०३ तित्थ यरा त्युरओ चक्कीनलकेसिरुद्रणारदा । अगज- कुलियरपुरिसा भविया सिउकं ति णियमेण ।(४७३। «०२४ ती थे कर,




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