जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग ४ | Jainendra Siddhant Kosh bhag 4
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.88 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दालाका पुरुष
ए दी दर ७ तछ /'क जन &. पर ८ ७. ७. ०... कं
सनम सा. यापयदसरितं या स्टसिर
दर पुरुपीका मोक् प्राप्त सम्बन्धी नियम ।
दालाका पुरुपोंका परस्पर मिलाप नहीं होता ।
दालाका पुरुपोंकि शारीरकी विशेषता ।
एक क्षेत्रमें एक ही तज्जातीय दाठाका पुरुष होता है |
-रदे. चिदेहमें त्रि. सा, ।
चरम शरीरी चौथे कालमें ही उत्पन्न होते ई ।
दे, जन्म ४ ।
अचरम शारीरी पुरुपोंका अकाल मरण भी सम्भव है।
दे, सरण/४1
तीर्थंकर । --वै. तीथौकर ।
गणभर चौथे कालमें हो उत्पत्त होते है ।
-दे, जन्म/४1
द्वादश चक्रचर्ती निर्देश
चक्रचर्तीका लक्षण |
सलाम व पूर्व भव परिचय ।
वर्तमान भवरें नगर व माता पिता ।
वर्तमान भव शरीर परिचय ।
कुमार कालादि परिचय !
वैभव परिचय ।
चीदद्द रत्न परिचय सामान्य !
चौदह रत्न परिचय विशेष ।
नवनिधि परिचय ।
दका प्रकार भोग परिचय ।
सक्रवर्तों की विभूतियोंके नाम ।
दिग्विजयका स्वरूप ।
राजधानीका स्वरूप
हुढावसर्पिणीमें चक्रवर्तीके उत्पत्ति काठमें कुछ अन्तर ।
चरक्रव्तोकि शरीरादि सम्बन्धी लियम ।
-दे, दालाका पुरुष|१/४ ४
नव चछदेव निर्देश
पूर्व भव परिचय ।
वर्तमान मवके नगर व माता-पिता ।
वृतमान भव परिचय ।
बलदेवका वैभव ।
| चलदेवों सम्बन्धी नियम ।
नव नारायण निर्देश
पूर्व भव परिचय ।
वर्तमान भवके नगर च माता-पिता ।
वतेमान शरीर परिचय । -
कुमार कालादि परिचय ।
नारायणोंका वैभव
नारायर्णोंकी दिग्विजय ।
नारायण सम्बन्धी नियम ।
जैनेन्द्र सिद्धान्त कौश
भाग बनर
१. शलाका पुरुष सामान्य निर्देश
ः प्रतिनारायण निर्देश
साम व पूर्वेमव परिचय ।
वतंमान भव परिचय 1
प्रतिनारायणों सम्बन्धी नियम ।
नव नारद निर्देश
वर्तेसान नारदोंका परिचय 1
तारदों सम्बन्धी नियम ।
'एकादुश रु निर्देश
नाम वे दरीरादि परिचय |
कुमार काछादि पंरिचय ।
रुद्रों सम्बन्धी कुछ नियम ।
रुद्र चौथे काले ही उत्पन्न होते है । -.दे, जन्म/४ ।
-| चौबीस कामदेव निर्देश
| चौवीस कामदेवोंका नाम निर्देश मात्र ।
कामदेव चौथे कालमें हो उत्पन्न होते दे |
-दे जन्म/ध६ |
सोलह कुककर निर्देश
वर्तमान कालिक कुलकर परिचय ।
कुलकरके अपरनाम प उनका सार्थक्य ।
पूर्नभव सम्बन्धी नियम ।
पूर्वभव्सें सयम तप आएठि' सम्बन्धी नियम ।.
उत्पत्ति व संख्या आदि सम्बन्धी नियम ।
मावि दालाका पुरुष निर्देश
कुलकर, 'चक्रव्ती व वल्देव निर्देश |
नारायणादि परिचय ।.
१. दालाका पुरुष सामान्य निर्देश
१. इड शलाका पुरुष नाम निर्देश
ति, प.४/४१०-४१९ एत्तो सलायपुरिसा तेसट्री सयलभवणविवख़ादा ।
जाघति भरहखेते णरमोहाकेण 1५१० तित्ययरचक्कबलह रिपडिसत्तु
णाम विस्प्वदा कमसो। बिउणिय्नारसनारस पयर्थणिधिर घसंखाए
15११ अब यहाँसे आगे ( अन्तिम कुलकरके पश्चात् ) पुण्योदयसे
भरतसेत्रमें मनुष्योंमें श्रेष्ठ और सम्पूर्ण लोकमें प्रसिद्ध तिरेसठ
दालाका पुरुष उत्पन्न होने लगते है 1/९१० ये दालाका पुरुष तीर्थ कर
१४, चक्तवर्ती १९, बलभद्र ६, नारायण £, प्रतिदान्नु £, इन नामोंसे
प्रसिद्ध हैं । इस प्रकार उनकी संख्या ई३ है 1६११1 ( त्रि, सा /८०३ १),
(ज प.रिशि७ि्ि-शट४ ). ( गो, जी जी, प्र ३६१-३६९/-७७३/३) ।
ति पथि/श१४६; १६१६ हुंडावसप्पिगी स। एक !१६६९४। दुस्सम-
सुसमे काले अट्टावणा सलायपुरिसा य 1९ ६१६। « हुडावसर्पिणी काल-
में ६८ ही दालाका पुरुष होते है।
रे. १६९ दाछाका पुरुष निर्देश
ति, प /४/१४०३ तित्थ यरा त्युरओ चक्कीनलकेसिरुद्रणारदा । अगज-
कुलियरपुरिसा भविया सिउकं ति णियमेण ।(४७३। «०२४ ती थे कर,
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