श्री अमरसेण वयरीसेण चरित्र | Shri Amar Sen Vayarisen Charitr
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घरुघर केसेरी-प्रन्थावंली
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जयणावत्ति नप के पटराणी (जिन दशकं शि सौ
पतिव्रता, कोमल मृदु-वाणी , इक्द्राणी भ्रनुमोतत जी ॥ श्री० ।॥६ |!
मानेतश महिपाल री सरे, ইবন জে ১: 1
सरदार, मुसद्दी , नौकर-चाकर , ज्यांस् बढ़तो राग जी ॥ श्री० ॥ ७॥
चतुविधी - नीती को ज्ञाता, घ्ंसेण परधान ।
हय, गय, रथ, पेदल दल पूरण, भरा भण्डार महान जी ॥ श्री० ॥ ८ ॥
सप्तांगी लक्ष्मी को साहिब, शौरीपुर को नाथ ।
राज , प्रजा आनन्द में निवसे , सारों ने दे साथ जी ॥ श्री० ॥ € ॥।
दाल १ ली ॥ वर्ज- बटाऊ आयो लेवा ने० ॥
५ सिद्ध: हुवे रे ज्यांरा काज, देवे पुनवानी भोलो जोर रो ॥ टेर ॥
इक दिन सूता रंग - महल में , राणी-सा सुखकार ।
हँस - शिशुनरी जोड़ी सागे , देखी है सुपत मजार ।! दे० ।। १॥
हषित हो राणी स्ह बेटी, पहुंची प्रीतम पास ।
` स्वप्न सुनायो, नप आलोची, दाख्यो रे बुद्धी विलास ॥ दे० ॥ २ ॥
पुत्र युगल होगा पटराणी , सूरज, चन्द्र जिसान ।
. एवमस्तु कहि के महाराणी, गया शीघ्र निज स्थान ॥ दे० ॥ ३ ॥
गभं यत्न के साथ रारी-सा, खूब करे धर्मं ध्यान ।
राज्य - संपदा बढ़ती जावे, देवे रे अ्रढलक दान ॥। दे० ॥ ४ ॥।
पूरण काले प्रसव्या पदमण ; नीका नन्दन दोय । ২,
उत्सव अ्रधिको होय रयो रे , घर-घर आनन्द जोय ॥ दे० ।। ५॥
# दोहा 5
उते - जरम पर भूपती , पायो मोद महान ै
छादश मे दिन धापिया , भ्राछा जस अभिघान } १॥
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