श्री अमरसेण वयरीसेण चरित्र | Shri Amar Sen Vayarisen Charitr

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Shri Amar Sen Vayarisen Charitr by मिश्रीमल जी महाराज - Mishrimal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घरुघर केसेरी-प्रन्थावंली সি এসপি পি (টি নি বস ই উর? ? जयणावत्ति नप के पटराणी (जिन दशकं शि सौ पतिव्रता, कोमल मृदु-वाणी , इक्द्राणी भ्रनुमोतत जी ॥ श्री० ।॥६ |! मानेतश महिपाल री सरे, ইবন জে ১: 1 सरदार, मुसद्दी , नौकर-चाकर , ज्यांस्‌ बढ़तो राग जी ॥ श्री० ॥ ७॥ चतुविधी - नीती को ज्ञाता, घ्ंसेण परधान । हय, गय, रथ, पेदल दल पूरण, भरा भण्डार महान जी ॥ श्री० ॥ ८ ॥ सप्तांगी लक्ष्मी को साहिब, शौरीपुर को नाथ । राज , प्रजा आनन्द में निवसे , सारों ने दे साथ जी ॥ श्री० ॥ € ॥। दाल १ ली ॥ वर्ज- बटाऊ आयो लेवा ने० ॥ ५ सिद्ध: हुवे रे ज्यांरा काज, देवे पुनवानी भोलो जोर रो ॥ टेर ॥ इक दिन सूता रंग - महल में , राणी-सा सुखकार । हँस - शिशुनरी जोड़ी सागे , देखी है सुपत मजार ।! दे० ।। १॥ हषित हो राणी स्ह बेटी, पहुंची प्रीतम पास । ` स्वप्न सुनायो, नप आलोची, दाख्यो रे बुद्धी विलास ॥ दे० ॥ २ ॥ पुत्र युगल होगा पटराणी , सूरज, चन्द्र जिसान । . एवमस्तु कहि के महाराणी, गया शीघ्र निज स्थान ॥ दे० ॥ ३ ॥ गभं यत्न के साथ रारी-सा, खूब करे धर्मं ध्यान । राज्य - संपदा बढ़ती जावे, देवे रे अ्रढलक दान ॥। दे० ॥ ४ ॥। पूरण काले प्रसव्या पदमण ; नीका नन्दन दोय । ২, उत्सव अ्रधिको होय रयो रे , घर-घर आनन्द जोय ॥ दे० ।। ५॥ # दोहा 5 उते - जरम पर भूपती , पायो मोद महान ै छादश मे दिन धापिया , भ्राछा जस अभिघान } १॥




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