जैनागम दिग्दर्शन | Jainagam Digdarshan

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Jainagam Digdarshan by मुनि नगराज - Muni Nagraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(3) (4) (5) (6) दसवेयालिय नाम अवथकता 139, सकलन झ्राघार पूवश्रुत 140, दूधरा श्राधार श्रय आ्रागम 140, चुलिवाएँ -- रतिवाक्या 142, त्रिविक्तचर्या 143 विशेषता महत्त्व 144, व्यू ख्या साहित्य 144 प्रथम प्रकाशन 144 पिण्डनिज्जृत्ति, नाम व्यान्या 145, कुछ महत्त्वपूण उल्लेख 146, न्ञोहनिज्जुत्ति, नाम व्याख्या 147, एक महत्त्व पूण प्रसग 147, उपचि निरूपण 148, निन कल्पौ व स्यविरकल्पी के उपकरण 148, साध्वी या प्रायिका के उपकरण 149, व्यास्या साहित्य 150, -पविखय सुत्त 150, खामणा-सुत्त 150, वदित्तु- सुत्त 151, >इसिमासिय 151, नन्‍्दी सूत्र रचयिता 151, स्वरूप विपय-वस्तु 151, दशन-पक्ष 152, ज्ञानवाद 153, भ्रवधि- লান 153, मन प्रययज्ञान 156, केवल ज्ञान 157, झ्ाभिनिवोधिक ज्ञान 158, श्रुतज्ञान 162, अनुयागद्वार 164 महत्वपूण सूचनाएँ 165, अनुमान 166, उपमान 167, झ्ागम 168 | देस पटरष्णण -- 168-181 प्रवीणका की परम्परा 168, प्राप्त प्रकोणक 170, (1) (2) (3) चउमरण 170, श्राउर-पच्चक्खाण, नाम ब्रह्य विपय 171, महापच्चक्खाण, नाम अभिप्राय 172, विपय- वस्तु 172, { 3५}




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