नाटक बहुरूपी | Natak Bahurupee
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
283
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दहा 3 भ्रच्छा नहीं ! नहीं बेटी । मुझे माफ कर दो बेटी ! सुशी,
.. ऐसे न देख मुझे। मुझे माफ कर दे बेटी ! श्रव मैं ऐसी
बात कभी नहों कहूुँगा ''कभी नहीं। कभी नहीं। कभी
नहीं । [ भरे कण्ठसे | हाँ, बहुत बुखार है तेरी गुड़िया-
द को-नहीं नहीं, तेरी बेटीको ! बहुत बुखार है !
বৃহীলা : एक सौ चार डिग्री है दहा | खाँसी भी बहुत है। सारा
... सीना जकड़ा हुआ है। बेचारी रो नहीं पाती ! देखिए
साँस किस तरह ले रही है | कितनी तकलीफ है इसे !
दहा $हाँ बेटी, बहुत तकलीफ है ! बहुत तकलीफ। आ्रँखोंमें
कितना ददं है! ऐसा दर्द जिसकी कोई भाषा नहीं-कोई
संज्ञा नहीं 1 ˆ संजञाहीन ' “्रोषधिहीन ५;
सुशीला $ किसी श्रच्छे डॉक्टरको दिखाइए दा इसे | द
दहा : जरूर दिखाऊँगा बेटी ! सोच रहा हूँ किस डॉक्टरको .
दिखाऊँ ? कौन-सा ऐसा डॉक्टर है जो*''जो इसे' 'इसे `
“1 [ ₹रुककर परिर्वातत स्वरमें ] सुनोबेटी, तुम `
अपने कमरेमें चलो । इसे हवा नहीं लगनी चाहिए
ठण्ड लग गयी है ! सर्दी-बुखार है। इसीसे इसके भीतर
कुछ जकड़ गया है । ध
3) | ध ः ः রর सुशीला : कहीं निमोनिया तो नहीं हो गया ? क् ^,
न दहा : नहीं नहीं । हरगिज नहीं । मामूली सर्दी-बुखार है। हाँ,
सीने श्रौर गलेमें कुछ तनाव जरूर श्रा प्याह तुम
.. कमरेमें इसे छिपाकर बैठो । मैं डॉक्टर श्र दवाका प्रबन्ध
करता हूँ। यह जल्द अच्छी हो जायेगी बेटी। घबराओ्ों
नहीं । इस समय कमरेमें चलो | | ` ০
| नष বে
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