सामायिक - स्वरूप | Samayik Swaroop

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथम माग ৬ तापको दूर करनेकेलिये एक चामत्कारिक बूटी है, असाध्य रोगों को नष्ट करनेकेलिये एक आध्यात्मिक रसायन है, अखण्डानन्द्‌ पानेकेलिये एक गुप्त मन्त्र है, दुःख समुद्रसे पार होनेकेलिये एक मजबूत नौका है. और अनेक कर्म मलोंसे मलीमस आत्माको परमात्मा बनानेकी सामथ्ये इस योगिक क्रियामे हे । (५) सामायिऋसे होनेवाले लाभ १ जिस क्रियाके करनेसे आत्मामे जड पकडनेवाले डुगुण क्रमसे नष्ट दोकर सद्गुणोंका समूह्‌ बढता जाय श्यौर हृदय परम शान्तिका अनुभव करे तथा जो सुख किसी मी पौद्गल्िक परिय वस्तुसे प्राप्त न हो सका हो ऐसे सुखका साक्षात्‌ अनुभव करा दे, ऐसे अपूब জাম से और अधिक लाभ क्या होता है ? फिर भी साधारण मलनुष्योंको सममानेकेलिये शाखकारोनि एक जगद्‌ लिखा दै-- दिवसे दिवसे लख्खं, देह सुबन्नस्स खेडिये एगो | एगो पुण समाहयं, करेड न पहुप्पणए तस्स ॥३॥ श्र्थात्‌--एक आदमी प्रतिदिन लाखो सुवणं मुद्राओंका दान करे और एक आदमी 'सासायिक' करे तो लाखों सुबर्ण सुद्राओंका दान करनेवाला व्यक्ति सामायिक करनेवाले व्यक्ति की बराबरी नहीं कर सकता ॥श॥ इसके अलावा 'पुण्यकुल्षक' नामक अन्थमे कह गया है कि- चाणवद्‌ कोडीओ लक्खा, गुणसयी सहस्स पणचिस्र | नवस्य पणविस जया, सतिदायडमाम परियस्स ॥४॥ अर्थात---शुद्ध सामायिक करनेवाला व्यक्ति ६२४६२४६२४३- पल््योपम वाली देवगत्तिकी खायु जोँधनेका फल प्राप्त करता ह 11911 ओर, भी कद्दा है---




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