देश जिन्हें भूल गया | Desh Jinhe Bhool Gaya

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Desh Jinhe Bhool Gaya by शंकर सहाय सक्सेना - Shankar Sahay Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देश जि भूल गया 1 १ स्टटगाट मे उस भत्तर्राप्ट्रीय समाजवादी मम्मेलन वे श्रध्यक्ष हरसिंगर मे मंडम कमा के उस देवीप्रेरणायुक्त भापण ने उपरान्त उठकर धोपणा की वि भतर्राप्ट्रोय ब्यूरो झौर यह भ्रतर्राष्ट्रीय समाजवादी वाप्रेस मंडम के प्रस्ताव की भावना को स्वीकार बरती है भौर उसका समथन बरती है । मैडम कामा मे उस भ्रततर्राप्ट्रीय वाय्रेस में स्वतत्र भारत की जिस राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था उसम तीन रंग थे हरा पीला श्ौर लाल तथा मीच वी पट्टी मे बन्दे मातरमु शब्द नगरी श्रक्षरो में झवित था । पहली पट्टी में तारे झक्ति थे भ्ौर नीचे की पट्टी मे एवं भोर सूय भौर दूसरी शोर घद्धमा बना हुप्रा था । मेडम कामा पहली भारतीय थी जि होने विदेश में रवतत्र भारत मे राष्ट्रीय ध्वज की एव भ्रन्तर्राप्ट्रीय सम्मेलन में पहुराया था 1 स्टटगाट मी श्रततरराष्ट्रीय वाप्रेस थे रास्मिलित होने के उपरात मंडस कासा जरमभी से सयुक्त राज्य भ्रमेरिवा गइ। संयुक्त राज्य श्रमेरिका जाय वा एवमसाम उनया उद्देश्य यह था मि बे सायुक्त राज्य भमेरिका जेगे महान जतप्र की सहानुभूति भारतीय स्वतप्रत्ता के श्रादोलन के लिए प्राप्त वरें । उ की सायता थी कि विदेशी मे भौर विदयोपकर योरोप तथा सयुत्त राज्य झ्रमरिगा में यदि भारत की स्वनबता दे लिए सहानुभूति उत्पन्न हो जाव घोर भारत नी स्वतश्रता मे श्ादोलय का मसहत्वपूणण राष्ट्रों का नेतिव समधन मिल जाव तो भारत वी स्वतश्रता का आदीलन प्रौर श्रथिक श्रभावशाती घौर तेजवान बनेगा श्र भ्रब्रेजी साम्राउयबाद वा भारत पर पजा उतना ही निवल हो । भतएव वे सयुक्त राज्य अमेरिका जैसे महान गणतंत्र की भारतीय स्वतश्रता भरा दोलन वे लिए सहपुश्ुति प्राप्त करने के लिए श्रमेरिया पहुंचीं । २८ झक्टोवर १६०७ को मेंडम कामा मे प्रसिद्ध मिनर्वा पलब के सदस्यों के सामने वत्डोफ श्रस्टोरिया होटल सूयाक से भारत के सम्बघ में भापण दिया । श्रोता . मडम बामा की झोजस्वी वाणी युनवर घरित श्रौर मश्रमुग्ध हो गए । एक श्रोता ने . प्रछा कि श्रापवा लक्ष्म वया है मेडम कामा ने इृढ़ता धौर स्पप्ट बादिता से उत्तर . शिया मैं भारत ने लिए स्वतग्रतता पुण स्वराज्य श्रौर रवासन की मांग वरती हू। मेडम बासा ये उस भाषण का उपस्थिप्त शोतामा पर एसा गहरा प्रभाव पढ़ा कि उ . भनेव सस्थाधो से निमस्ण मितने लगे झोर संयुक्त राज्य भ्रमेरिका में उनके भापणा की धूम मच गई । वे संयुक्त राज्य भमेरिवा वे विभिन्न तग्ररो मे घूम-धूम कर भारत को स्वतय्रता के लिए संयुक्त राज्य श्रमरिका मे भारत ने पक्ष गे प्रचार बरने लगी 1 उनके प्रचार का परिणाम यह हुआ वि सयुक्त राज्य झमेरिका में भारत बी स्वतत्रता के लिए गहरी सहातुभूति उत्पन्न हो गईं । संयुक्त राण्य श्रमेरिवा में श्रमण कर नवम्बर १६०८ मे वे पुन लदन वापस लौटी प्रौर पुन क्रांतिकारी पाय में जुठ गद । उठोने इण्डिया हाऊस मे एव बहुत बड़ी सभा में भाषण दिया श्रौर उस सभा मे उ होने इढ़ता श्रीर साहस के साथ रकतत्रतां श्रादोलन श्रौर राष्ट्र की सुक्ति संधप मे हंस मे झौचित्य का समथन किया । उस भाषण में उ होने कहा था न ---हम स्वतत्रता के सपप में सा दे उपयोग के लिए सेद प्रगट बयी करे जबंबि हमारा शनू ब्रिटेन हम ऐसा करने के लिए विवडा कर दता है। हम तभी बस भौर हिसा का प्रयोग करत है जबकि हेसे हिसा वा उपयोग बरनते पर विवद वर दिया गियर पक करण




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