कुछ समस्याएँ | Kuch Samsyany

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Kuch Samsyany by जवाहरलाल नेहरु - Jawaharlal Nehru

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो मसजिदें ण फिरका श्रलग हो गया । यह फिरका धरथाडॉक्स चचे कइलाने लगा, या शाकसर औक 'वर्च भी कहलाता था, क्योंकि वहाँ की बोली शरीक हे गई थी | यह श्रॉथाडॉक्स 'चर्च रूस और उसके छासपास भी फैला था । सेन्ट-सेफिया का केथीड्'ल शरीक चर्च ( धर्म ) का केन्द्र था, श्रौर नो सौ चर्ष तक वद्द ऐसा ही रहा । बीच में एक दफ़े रोम के परपाती ईसाई ( जो श्राये थे मुसलमानों से ऋुसेड्स--जेहाद--लदने ) छस्तुन्तुः निया पर टूट पढे, और उसपर उन्होंने कब्जा भी कर लिया , कोकिन वे जल्दी ही निकाल दिये गये । झ्राखिर में जब पूर्वी रोमन साम्राज्य एक इजार च्षे से श्रधिक चल स्युक था श्ौर सेन्ट-सोफिया की श्वस्था भी लगभग नौ सौ चर्ष की हा रही थी, तब एक नया हमला हुश्ना, जिसने उस पुराने साम्राज्य का झन्त कर दिया । पन्‍्द्रदची सदी में झोस्मानली तुर्का ने कुस्तुम्तुनिया पर फतद पाई । नतीजा यह हुआ कि वहाँ का जो सब से बडा ईसाई केयीडरोल था, घह श्रब सब से बढी मसजिद हो गई । सेन्ट-सोफिया का नाम झाया- सुफीया है गया । उसकी यह नह जिन्दगी भी लम्बी निकलो--सैकों वर्षो की । एक तरह से श्रद्द झालीशान मसजिद पक ऐसी निशानी बन गई, जिसपर दूर-दूर से निगाहें 'आाकर टकराती थीं और बढे-यढे मनसूवे गॉठती थीं । उन्नीसरवीं सदी में तुर्की साम्राज्य कमजोर है रहा था, धर रूस बढ़ रहा था । रूस इतना बडा देश होते हुए मी एक बन्द देश था । उसके साम्राज्य-भर में कोई ऐसा खुल्ता बन्द्रगाद नहीं था, जो सर्दियों में बफ से खाली रहे भ्रोर काम श्रा सके, इसलिए वह कुस्तुन्तुनिया की शोर लोभ-भरी थॉखों से देखता था । इससे भी श्धिक 'श्राकपण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक था । रूस के जार ( सम्राट ) श्रपने के पूर्वी रोमन सम्रारों के वारिस समकंते थे, थशर उनकी पुरानी राजधानी के अपने कब्जे सें लाना चाहते थे । दोनों का मजहय चहदी श्रॉर्थेडॉक्स शरीक वे था, जिसका नामी गिरजा सेन्ट-सेफिया था । रूस का यदद भ्रसदा




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