समय के साये | Samay Ke Saaye
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विकास
नवीन
विकास
नवीन
विकास
नवीन
भोलाराम
नवीन
विकास
नवीन
विकास
नवीन
विकास
नवीन
विकास
नवीन
विकास
भोलाराम
नवीन
विकास
भोलाराम
विकास
नवीन
भोलाराम
विकास
तुम भी खूब हो। हो सकता है रात को ट्रेन न मिली हो तो बस
से क्यों नहीं आ सकती ?
अरे बस से भी आती तो कभी की आ जाती। सच तो कूछ और
ही है।
ओर फिर क्या सच हो सकता है ?
यही तो बताने से बचना चाहता हू।
मैं समझा नहीं।
न समझो तभी तक ठीक है।
कुछ भी कहिये बाबूजी मुझे तो पूरा विश्वास है मेमसाहब आज
हर हालत में लौट आयेगी।
चुप रहो। वेमतलव ही अपनी कहे जा रष्टे हो।
नवीन तुम चाहे कितना ही नेगेदिव सोचो मन तो अन्दर से मेरा
भी यही कह रहा है कि महिमा भाभी वहा बिना काम रूकन
वाली नहीं है।
तुम भी इस भालाराम की वाता म आ गये लगते हो ?
कतई नहीं। हा यह बात मैं जरूर नोट कर रहा हू कि तुम इन
दिनों हर बात को अपने ही अर्थ मे लेने को आतुर हा जाते हो।
कैसे ?
मैं पूछता हू, अभी वह आ क्यो नदीं सकती किसी बस से ?
आ तो क्यों नहीं सकदी | लेकिन आने का उसका मानस बने तब न !
क्या मतलब ? वे वहा कोई मौज मस्ती के लिए नहीं गई है जो
एक दिन और ठहर जाये ?
यह तो उसी से पूछना जब वह आये।
नवीन इन बातों मे कुछ नहीं धरा।
विकास भैया आप बैठिये। मैं आप लागो के लिए चाय बनाकर
लाता हू।
मेरे लिए मत बनाना।
मुझे भी कोई इच्छा नहीं है।
आघा कप तो चलेगा]
पहले इसे प्रिलाओ ताकि यह थोडा शान्त हो।
कह दिया न मुझे नहीं पीना।
ऐसे कैसे चलेगा ? सुबह भी आपने कुछ भी नहीं लिया।
सुबह तो नहीं लिया कोई बात नहीं | चैकअप कराने जाना था।
लेकिन अब तो पी सकते हो ?
15//समय केष,
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