हिंदी काव्य - दर्शन | Hindi Kavya Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
630
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आमुख
साहित्य युग की अभिव्यक्ति हे, किन्तु यह अभिव्यक्ति हृदय के माध्यम
से होती है । इतिहास अपने युग की घटनाओं की गाथा है; और साहित्य उस
युग की भावनाओं की । कवि अपने ओंसुओं से युग को धोकर पवित्र करता
है। कवि की कविता समझना सहज है, पर कवि को समझना संसार की शक्ति
से परे है । कितने सपनो के महरू ढाकर कवि ने समाज के पंकिल पथ को
राज-पथ मे परिणत किया, उसकी एक-एक पंक्ति में कितनी अतृप्त पिपासा
छछक रही है, यह किसने जानने का प्रयत्न किया है ? और यदि किसी ने
किया भी तो उससे कवि को क्या ?
समाज की ठोकरें खा-खाकर भी कवि जीवित रहता है। इसलिए नहीं
कि उसे जीवन का मोह है, वरन् इसलिए कि उसे समाज को जीवन देना होता
है। कवि जब तक समाज में रहता है, समाज उसे जानने का अयल नहीं करता ।
उसकी रूत्यु के बाद उसकी समाधि बनवाई जाती है, स्छति-भवन बनते हैं,
श्राद्ध किये जीर जयन्तियां मनाईं जाती हैं । अपराध क्षमा हो तो कह दूँ , कवि
की रूत्यु के बाद जितना उसके नाम पर व्यय किया जाता है, यदि उसका
शतांश भी उसे जीवन-काल में मिलता, तो शायद वह समाज को ओर भी
बहुत-कुछ दे पाता । हिन्दी के अधिकतर कवि औषध के अभाव में मरे हैं
सर रोरी की समस्या का निदान् उनके बस के बाहर की बात रही है ।
साहित्य समाज का दर्पण है, यदि दर्पण शब्द-कोशवाले अर्थ में न लिया
जाय तो। बीर-गाथा काल का इतिहास देशी और विदेशी युद्धों का इतिहास हे ।
किसी राजकुमारी के रूप-गुण पर मोहित होकर उसके पिता से विवाहेच्छुक
नरेश परिणय का प्रस्ताव करते थे । अस्ताव स्वीकृत करने में पिता ओर अस्वी-
कृत होने में विवाहेच्छुक अपना अपमान, समझता था। परिणाम स्वरूप दोनों
में युद्ध अनिवाये था। यचनों के आक्रमण भी इसी काल में होने प्रारम्भ हो
User Reviews
No Reviews | Add Yours...