अद्भुत दुनियां पक्षियों की | Adbhud Duniya Pakshiyo Ki
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बेगार लेती है लड़ाई मे वह कौवों से नहीं जीत
पाती। इसलिए कोवों को धोखा देकर उनके घोंसलों
में अपने अंडे रख आती है।
कोयल का अंडा रंग-रूप और वजन में कौवे के
अंडे-जैसा नहीं होता। फिर भी कौवा अपने और
कोयल के अंडों का अन्तर नहीं पहचान पाता और
उन्हें अपने अंडे समझकर सेता रहता है। कोयल জীন
के घोंसले में जितने अंडे रखती है, कौवे के उतने
ही अंडे नष्ट कर देती है।
दुष्टता का अन्त
गर्मी का मौसम ओर फिर जेठ मास की तपती
हुई दोपहरी का समय । अत्यन्त गर्म लू चल रही थीं !
जंगल का रास्ता था। धथका-मांदा एक मुसाफिर अपने
सिर पर सामान ओर कपड़ों की पोटली रखे, शहर
से अपने गांव की तरफ जा रहा था। उसने देखा कि
आगे एक बड़ा घना आम का पेड़ है। थोड़ा आगे
और बढ़ा तो उसे वहीं पास में एक कुआं भी दिखायी
पड़ा। यह देखकर उसे बड़ी खुशी हुई, क्योंकि प्यास
के कारण उसका गला सूख रहा था।
कुएं के पास पहुंचकर उसने सिर से अपनी पोटली
अद्भुत दुनिया पक्षियों को / 797
User Reviews
No Reviews | Add Yours...