भारतीय इतिहास की रुपरेखा जिल्द 1 | Bhartiya Itihaas Ki Ruprekha Jild 1

Bhartiya Itihaas Ki Ruprekha Jild 1 by जयचन्द्र विद्यालंकार - Jaychandra Vidhyalnkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न एप ( रद ) दा में पूरी तरह जज़्ब किये बिना. अजौणं को उगल देने का रिवाज हमारी... भारतीय भाषाओं में काफी चल पड़ा है। वे श्रपरिपक्व विचारों की. पुस्तकें जनता को विश्वम में डालने का कारण होती हैं । दूसरे के ज्ञान .. को पूरी तरह अपनाये बिना उसका प्रयोग करने की चेष्टा के जो घातक. परिणाम होते हैं, उन का जीवित दृष्टान्त पानीपत का तीसरा युद्ध है । किन्तु उस दृष्टान्त से हम ने कुछ सीखा नहीं दौखता । आज दस पहले. से अधिक उस गलती सें फंस रहे हैं । मैंने इस बात का भरसक जतन किया हैं कि आधुनिक ज्ञान की अत्येक नई बात हिन्दी पाठकों को उन. के श्रपने पुराने ज्ञान के द्वारा स्पष्ट कर के बताई जाय । मुख झाशा है... कि पाठक-पादिकाओं को इस अन्थ में अत्येक नई बात पूरी व्याख्या के साथ. मिलेगी, कोई श्ासमान से एकाएक गिरती न जान पढ़ेगी । डर हिन्दी में ऐसे लेखक मी हैं जो नालव को महोई और रोपड़ को रूपार ं लिखते हैं, और वे यनिवर्सिटियों में भ्रध्यापक हैं ! इस लिए में यह निवे- दन कर दूँ कि रूपरेखा में प्रत्येक भारतीय नाम का ठीक. रूप लिखने कर का भरसक . जतन किया गया है; और विदेशी नामों में से जो तो भार- अभिलेखों सिक्कों झादि में किसी रूप में पाये जाते हैं उन्हें तो ढीक.. उसी रुप में ले लिया गया है; जो नहीं पाये गये उन का. भरसक सुख. उच्चारण मालूम कर लिखने का जतत किया गया है । मैंने इस बात. की बढ़ी चेष्टा की कि जिन भारतीय या भारत के पड़ोसी उच्चारणों के... चिन्ह नागरी में नहीं हैं, उन के संकेत भी इस अन्थ के लिए टाइप में ढलवा लिए जाते । खेद. है कि प्रकाशक इस का श्रबन्ध न कर | इस ग्रन्थ के प्रस्तुत करने में मुझे जिन महानुभावों की सहायता... मिली. है, उन की सूची बहुत बड़ी है । सब से पहले. मुझे अपने उन... गुरुओं के अति कृतज्ञता अकट करनी है, इस अन्थ को मैं जिनु, की सूत्त कृपा सानता हूँ ।. ओोका जी से मैंने पहले-पहल ऐतिहासिक खोज़




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