टर्की का शेर | Tarki Ka Sher
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४५
बालक से अपना कुत सम्बन्व नदीं रखते -किपो खमिन,
नहों करते ।
सुध्तफा के पिता अल्ीरजा ने नोऋरी से स्तोफा देकर लकड़ी
का कारोबार शुरू कर दिया। पिता को बड़ी इच्छा थो कि मेण
बेटा एक प्रसिद्ध व्यापारी बने और माता चाहती थो कि उषे
- मुरला बताया जाय । मुस्तफा को पहले कुरानशरीफ पढ़ाया गया
' झौर फिर मदरसे सें पढने बिठाया। आरम्मिक शिक्षण भी पूण
- नही होने पाया था कि अलीरजा इस लोक से चल बसे । पिता
के मरते ही घोर आ्िक संकट सामने आया। वे घर मे ददाम
छः कौड़ी भी नहीं छोड़ गए । जुबेदा बेचारी अपने पुत्र मुस्तफा
को लिए अपने पीहर में भाई के पास जाकर रहने लगी । देदात
में मुस्तफा को अपने मामा के यहाँ रहना पड़ा। पढ़या लिखना
बन्द हो गया। भ्ामीण घन्धे करने पड़े । उन्हें तबेले को सफाई
' क्रनी पढ़ेंती थी । ढेरों को चारा डालना, उन्हे पानो पिलाना
ओर जंगल में चराने ले जाना पड़ता था। खेतों में जाकर कौर
` उड़ने पड़ते थे । यद काम आपके लिए अत्यन्त हितऋर हुआ ।
` -यदि मुस्तफा सैलोनिका में रहते तो बहुत सम्भव था कि वे दुब॒ले
:“पतले और निबल अशक्त रद्द जाते । सैलोनिक्रा में जब वऊ. वे
“ रहे अत्यन्त कमजोर दिखाई पड़ते थे । परन्तु ननपार पहुँचते हो
वे मजवूत, वलिष्ठ ओर स्वस्थ दिखाई - पड़ने लगे । देहात: और
जंगल के संयोग ने उन्हें और भो अधिक घुन्ना और एकान्त प्रेमी
थना दिया । इस एकान्तवास से बेड़ा भारी लाभ यह हुआ .कि
` -ुस्तफा से उत्तरोत्तर सखातन्त्य प्रेम. की बृद्धि दती गई ।
. य्र्यपि युखफा साह को जैत्रा सैलोनिक्ा था, वैसा दी यह
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