सरस्वती मासिक पत्रिका भाग - 29 | Saraswati Masik Patrika Part 29

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Saraswati Masik Patrika Part 29 by पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी - Padumlal Punnalal Bakshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नननकीकणदन नवीन नवीणवी नी नयी की पी पी की की पी की एक की का जय था हाती हैं उस समय उलके बच्चों को झाप देखिए | ः पिछले फरवरी मास में एक दिन बहुत बफ पड़ो । मेरा एक प्रेमी जमेन मित्र मुझसे मिलने के लिए आया श्रौर बोला-चिज्ञो घूमने चलें । हम चल पड़े । साथ में उसका एक छोटा सा लड़का था | मैंने समभका झ्राठ नौ वष का भर कैरी कै जद नवीन नीला का एव वी फेस पी फीट नवीन नव न नवीन फीस ्वीना वीर नॉन नवीन नकल नवुलिननवीक अपना बाभा सस्ट्ाल रखता था ।. बातचीत करते हुए सैंने अर ने जर्मन मित्र से कद्दा-- पाप का .डका है तो आठ नो वप का ही पर मज़बूत है । सारा रास्ता पट्टा दाड़ता ही श्राया । मरने मुह की झ्रोर विस्मित हाकर देखने चार बप का लड़का की लड़कियां ब्यायास-शाला के सामने मेदान में खेठ दिखा रही हैं होगा । उस दिन हम लोग तीन चार मील बफ़ं में घूमे । सारा रास्ता वद्द लड़का दौड़ दोाड़ कर बफूं पर अपने बूटों से ही स्केटिड्र करता चला जाता था । थोड़े थोड़े फासले पर छोटे छोटे टुकड़े भूमि कं हिम से ढके थे । वह लड़का बराबर दौड़ कर उन पर फिसलता शरीर बराबर है। अभी जनवरी में उसके चार वप पूरे ह््ए हद | दर प में हैरान रह गया । मुझे सिएटल श्रम रीका के नाई का वह लड़का याद झागया जा बाज़ार मे अख़बार बेचने झ्राया करता था जिसकी मा मुक्त से कहा करती थी-- मेरा




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