हिन्दी कहानियों की शिल्प - विधि का विकास | Hindi Kahaniyon Ki Shilp - Vidhi Ka Vikas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5.8. 'पटाडी-- कहानी शिल्पविधि में प्रयोगशीलता---रेखाचित्र--सूच- तनिका--्रद्नत्तियों श्रोर कहानीकारों की विशिष्ट शली के आधार पर शिल्पविधि का विकास | पृष्ठ--२ ३८-२९ ८ उद्गम और विकास सूत्र विविध-युगो मे कहानी-कला को प्रेरणाए--श्राविर्भाव युग-- सस्क्ृत नाटकों की कथावस्तु--शेक्सपियर के नाटकों की कथावस्तु -- उदूँ किस्सा ओर अफसाने--लोक कहानियाँ--प्रारस्भिक बँगला कहानियाँ--विकास युग--पश्चमी कहानी-साहित्य का सम्पर्क-- सक्रान्ति युग--छसों कहानी-धारा-फ्रान्सीसों कहान-धारा--श्रमे रिक्रत कहानी-धारा--अ्रंग्रेजी कहानी धारा--बेंगला कहानियाँ । पृष्ठउ---२६ ६ - ३२३ कहानोकला कौ समीक्षा ॥ कहानी-कला का विकासोन्मुखः रूप--फहानी के तत्व--- कथावस्तु--पात्र आर चरित्र चित्रणु--वर्णन' द्वारा-सक्रेत द्वारा-- कथोपकयथन द्वारा-घटना काय व्यापार द्वारा--चरित्र विदलेपगा-- मानसिक ऊद्मापोह--कथोपफ्थन--स्थिति ग्रथवा वातावरण-शेली--- भाषा शेली--रछूपविधान शैली--ऐतिहासिक शली--पअ्रात्मचरित्र शेली--पत्रात्मक शोेली---डायरी शली--नाटकीय शेली--एकाकी नाटक शली--मिश्रित शैली--उद्देश्य । कहानियों का वर्गकरणा कथानक प्रधान कहानी---चरित्र प्रधान कहादी--बातावरणा प्रधान कहानी--वाताव रण प्रधान कहानी--विविध कहानियाँ। पृष्ठ--३ २४-२५६ उपसंहार (क) कहानी कला श्रौर साहित्य के भ्नन्य प्रकार -कहानी और उपन्यास--कहानी সী एकाकी नाटक--कहनी मरोर निवन्ध-- कहानी और गद्यगीत तथा रेखाचित्र--कहादोी श्लौर गोत--कहानी ग्रौर खड कत्य | पृष्ठड--३६०-३१६४५ (ख) कहानी के शिल्प-विकास की मान्यता । पृष्ठ--३६६-३६५ परिशिष्ट: कः कहानी शिल्प मे कथानक का ह्वास परिशिष्ट : खः आज की हिन्दी कहानी : दिशा श्रौर मूल्याकन




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