धरती, आकाश और मानव | Dharti Akash Aur Manav
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.34 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नापें तो यह समय २४ घंटे आयेगा किन्तु यदि पृथ्वी के पुरा
चक्कर लगाने का समय किसी तारे के हिसाब से नापे तो यह
समय २३ घंटे ५६ मिनट ४ सेकेंड आयेगा । इसी तरह पृथ्वी.सूर्य
का एक चक्कर ३६५ दिन, ४५ घंटे ४४ मिनट में लगाती है ।””
मोहन बोला, “मामा, क्या इसीलिए हर चौथे साल कलेडर
में एक दिन बढ़ा दिया जाता है ।”
गीता बोली, “अब मैं समझी कि फरवरी कभी २८ और
कभी २४ दिन की क्यों होती है ।”
-सब कुएँ कें पास पंहुँच गये थे । सुरज निकल भाया थां
और मौसम में गर्मों आ रही थी। गीता को तो थोड़ा पसीना भी
आ गया था क्योंकि उसे चन्दर मामा ओर मोहन की चाल
के साथ चलने में कुछ दौड़ना-सा पंड़ता था । चन्दर कुएं से
“पानी खींचने लगे भर गीता और मोहन नहाने लगे । गीता
बोली, “मामा, पानी बड़ा ठण्डा है !” मोहन बोला, “यह कुएँ
का पानी भी अजोब है । जाड़े में गरम होता है और गरमी
में ठंडा !” २ है
सनकी बातें सुनकर चन्दर मामा हँस पड़े और बोले, “अरे
कुएँ का पानी तो जाड़े, गरमी सब मौसम में एक-सा ही 'रहता
हूं। कुएँ का पानी पृथ्वी में काफी नीचे से माता है और वहाँ
तक मोसम का असर कोई खास नहीं होता । बात यह है कि
जाड़े में कुएं के बाहर ज्यादा ठंडक रहती है और उसके मुकाबले
मैं कुएं का पानी गरम लगता है । गरमी में बाहर ज्यादा गरम
होता है और इसलिए कुएँ का पानी ठंडा लगता है ।”
सबने नहा कर कपड़े बदल लिए और घर की वापिस
, चल दिये । सूरज और ऊपर चढ़ गया था और गरमी बढ़ गई
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