पत्थर युग के दो बुत | Pathar Yug Ke Do But

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : पत्थर युग के दो बुत  - Pathar Yug Ke Do But

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

Add Infomation AboutAcharya Chatursen Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पंत में हंसी भौर घोगुप्री का गठबघन हो गपा। हैं हसनी भी, रौती भी । प्यार गए दें ज मेरी सोसएरी बन गया । पर इसका इससाज कया पार फिर दूसरा बर्थ हे प्राया, पौर वे पाघ सो रुपये मेरे हायों में थमा- हरे चस दिए । मैंने रहा, गुवो, वे इके, हा, या 7 *ुस्हारे हाथ जोदतों हैं । इस बार यहाँ ट्रिक मत बरना 1” पप्षदा !” बहुरर वे तेजी से भस दिए । उनवा इस तरह जाना, गपच्छा' कहना मुखे गुष माया नहीं- ने जाने क्यो किसी प्रश्ात भय ने मेरा मन मसीस दिया । मैं बाज़ार गई, सब सामान लाई। मन में उद्याह भी था, भौर भय भी था । ने जाने भाज की रात कंसे थीतेगी ? रिएते साल की संक आठ याद झा रही थीं, मोर में रा कसेजा गप रेदा था। फिर भी मैं पस्त्रवत्‌ सब ठेयारी कर रही थी । मेहमान धाने लंगे पर उनका गहीं पता न था । मेरे पैरों के नीचे से धरती लिमक रही थो । सोग हस-हूंसर बधाइय दे रहे थे, चूहन पर रहे थे । मुख्दे उनके साथ हंसना पढ़ता था, पर दिस मेरा रो रहा था । यह तो बिना दूल्हे की दरात थी । बड़ी देर में धाए उनके भस्तरंग मित्र दिलोपकुमार । भागे बढ़कर उन्होंने सब मेहमानों बने सम्नीधित करके गा, “नस्पुपो भौर बहनों, बढ़े खेद की बात है कि एक भत्यावश्यक सररारी बाम में व्यस्त रहने के बारण दत्त साहब 'इस समय हमारे थीच उपस्थित नहीं हो सकते हैं। उन्होंने क्षमा मांगी है भ्रौर घपने प्रेतिनिधिस्व रुप मुझे भेजा है । खूब साइएनपीजिए मित्रो 1 इनना कहकर वे मेरे पास धाए । सुख तो काठ मार गया। मैंने बहा, बया हुआ ?” “कुछ वात नेहीं भागी, उन्हें बटत जरूरी काम निकल धाया। शाम, मब हम सगे मेहमानों का सतोर॑जन करें, जिससे उन्हें भाई साहब्र वो मेरहा जिरी भ्रवरे नहीं” भर वे तेजी से भीड में घुसकर लोगों की भावभगत में संग गए । निसाय हो छाती पर पस्थर सफर मुके भी यह करना पड़ा । पर मैं ऐसा म्रदुभव कर रही थी जैसे मेरे ठरीर का सारा रक्त मिचुड यया हो, भौर मैं मर रही हू 1 जैसे-तले मेट्रान विदा हुए । सूने घर में रहू गए हम दो---दिलीप- ड्ि 0




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now