आगे बढ़ो | Aage Bado

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोन नहीं जानता था कि कोई भी ख्टकना हुमा पदार्थं जव हिख -दिया ज्ञाता है तो वह इ्धर-इघर हिलता है । उसकी यह गति धीरे-धीरे हवा के विंगोध ओर घर्पण से चन्ड हो जाती है। किसीने भी ध्स घटना का मृल्य नहीं समझा, परन्तु वारूक गेलीलियो ने एक दिन पाइजा नगर के गिरजाघर मे ऊँचाई से लटके हुए चिराग को देखा। हवा के मोंके के कारण चिराग भूछने छगा था। इसी भूछते की गति ने “पेन्डुछुम' के सिद्धान्त को जन्म दिया। यह सब जानते है कि कोई भी चीज ऊपर से नीचे की ओर गिरतो है । लेकिन पेड पर से सव को नीच गिरते देखकर प्रथ्वी के गुरुत्वाकर्पण का सिद्धातत न्यूटन ने ही खोजा था । अवसर कोई पकी-पकाई रोटी तो है ही नही, कि कट कोर लिया ओर खाने छरे। उसे आखे खोलकर पहिचानना पडता है, उसमे उचित सुधार करना पडता है ओर कार्य ओर उद्देश्य के अनुकूल बनाना पडता है । अवसर का उपयोग तो बीज बोने के समान है ) इस बीज से वृक्ष तैयार होता हैं, फिर फ्छ लगते है, इन फर्छों से दूसरे छाम उठते हें । भूतकार मे उद्योग करनेवाखो ने ज्ञान ओर उपयोग की अगणित चीजों को तैयार किया मर आज वे अप्राप्य बस्तुर गरी- गो मारी-मारी फिरने रणीं । वर्तमान युग मे एक पढ़ें-लिख संयमी युवक के सामने; एक चप- रासी के छडके के सामने, एक फ्लार्क के सामने, एक गछी-गढी सटकने वाले अनाथ के सामने, पचासों बड़े-वडे सुगम मार्ग खुले पड़े है। पहले इनेगिने थे, आज अनेकों है। जो वाते भूतकाल में इस श्रेणी के [ ११




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