निति - शास्त्र | Neeti Shastra

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Neeti Shastra by लालजीराम शुक्ल - Laljiram Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला प्रकरण विपय-मवेदा नीति-शास्त्र* का विषय नीति शाख्र क्या दै £-- नीति शात्र बद शा्र दै जिसमे मनुष्य के मर्वव्य श्र श्रकतंस्य का विचार किया जाता है। नीति-शारू नैतिकता रे के माप-दण्ड का निर्धारण करता दे । दम श्रचना कतेंव्य, श्राचरण के कुछ पिरे थे निषमें को मानकर निश्चित करते हैं। यद शासन इन नियमों की मौलिक्ता की परख करता दे । समाज में धनिक श्रकाए के '्रांचार-प्यवद्नर के नियम प्रसलित हैं। ये निषम समाश की बस्म्पणागत इढ़ियों* के द्वाय एक पीढ़ी से श्रन्य पीढ़ी तक जाते हैं। बब मनुष्य किसी समाज में अत्म लेता दे हो बद इन श्राचरण के नियमों को श्नायास मानने लगता दे। मदुप्प समाज के मैतिक नियमी १९ विचार करने के पूर्व ही शपने धारण में नैतिकता ले भ्राता दे । नैतिक दाचरण करने की शक्ति मतुष्य-दमाज में पदले ाती है । पीले उसमें नैतिक निययों पर दार्थनिक विचार करने थी शक्ति थादी दे । नीति शात्र यद निएंय कर्ता दे कि समाज में प्रच लित नैतिक नियम कहीं तर मनुष्य के जीवन के सवोस्च शादर्ग सो गाप्त करने में सददापक टी (सकते हैं । पर... “.... का श्ीलिस्य अपना अनोतित्य तत्र एत्तक दा * शकता अच तक [ मदुष्य थे उठ बोटी ९ द र्य- «नियम थी मौलिक बी बसत थी + की लोज था 4. 0०७69.




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