निर्ग्रन्थ प्रवचन | Nirgranth-Pravachan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। (
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तथा अंमृहत पदार्थों को देखने में उनका ज्ञान आँख का अति
हीं प्रनोखो कार्में करता था। इस के अतिरिक्त, हे जम्बू | दौर
अर के द्वार! प्रतिपादित' शत एवं चारित्र घर्म को संसार रूपी
मद्दी सीगर से पार शंगातेवाली समझो। और, देखो ! धयम'
माग मं ऽके कौ श्रहुषम धीरतां, वरता, सदिष्णुता, संनीषतां
शरीर भलीकिक असन्न चितता को) यदी महावीर धमण;
वद्धेमाना्ौर नि्मन्य; আহি चादि थमी अनेकों पावन
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मगर, आदि आदि कई असिद्ध शहरों के तथा गावें। के बहुल
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अह्यवारी, पूज्यवर श्री मह्तालालजी महाराज के सम्परदायानु-
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के धुशिष्प प्रसिद्धवक्ता, पडित सुनि धौ चौपमलजी मद।राज
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सुबोध तया सरलातिषरल मपा एक हिन्दी अनुवाद भी
कर दे, तो जैन-मझगंत् ही पर नदी, बरन, अमैन-जनता के
साथ भी शाप की बढ़ा आरी उपकार होगा অস্থি शव अश्र
का स्वोस्स्यपूर्ण सुशेध युक्त एक प्रन्ध अंक्राशेत दो शरं जगं
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