अंतिम विजय | Antim Vijay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
299
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ अतिम विजय
विवाह में बुराई क्या है । जो बन पडेगा, बेचारा दहेज भी देगा 1
“तो ठीक है। अब तो मै दिल्ली की लडकी से विवाह होने ही
नही दूंगी । मै तो उसे कोई बडे घर की बेटी समझती थी ।
“विवाह नही होने दोगी--तुम तो ऐसे कह रही हो, जैसे मैं कर
ही रहा हैँ । तुम नही जानती । यह तो थोडी देर की जवानी का जोश
है । कुछ दिनो मे निकल जायेगा । अभी बिछुड कर आया है, इसीलिए
इतना उदास रहता है।
“कही जवानी मे आपको भी तो ऐसी ही उदासी न हो गई थी।
“तुम भी कंसी मूखंता भरी बाते करती हो । हमने कौन से कालेज
मे पढाईकीथीजो एेसा होता 1
“बातें तो कुछ अनुभव की सी ही कर रहै हौ । '
“हमे पता है राजेश की मॉ--आजकल की शिक्षा ने युवक और
युवतियों के चाल-चलन को बिल्कुल ही बिगाड दिया है। मै जब घी
लेकर जाता था, तो वहां पर लडकियो को देखकर भौचक्का रह् जाता
था । ग्रामं तो जसे उन्होने पानी भे' बहा दी है ।'
“हमे तो कभी नहीं बताया दिल्ली से आकर ।”'
/ बताना ही कया है, चाहो तो घर भे ही लाकर देख लो । हाथ
कंगन को आरसी क्या । बेटे का विवाह दिल्ली से कर लो ।/'
“छोडो जी ! नई बहू का मुंह देख कर सब भूल जायेगे 1
“औओरे विचार से' अब इसका विवाह जल्दी ही कर दें!
“जितनी जल्दी करो, उतना ही अच्छा है।''
“अब तुम इस विषय मे इससे बात ही न करता ।”
रामनाथ जी इतना कहकर खेतो पर चले गये । उनके जाते ही
रामप्यारी भी अपने घर के कायं मे जुट गई।
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