अंतिम विजय | Antim Vijay

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Antim Vijay by रघुवीर - Raghuveer

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ अतिम विजय विवाह में बुराई क्या है । जो बन पडेगा, बेचारा दहेज भी देगा 1 “तो ठीक है। अब तो मै दिल्‍ली की लडकी से विवाह होने ही नही दूंगी । मै तो उसे कोई बडे घर की बेटी समझती थी । “विवाह नही होने दोगी--तुम तो ऐसे कह रही हो, जैसे मैं कर ही रहा हैँ । तुम नही जानती । यह तो थोडी देर की जवानी का जोश है । कुछ दिनो मे निकल जायेगा । अभी बिछुड कर आया है, इसीलिए इतना उदास रहता है। “कही जवानी मे आपको भी तो ऐसी ही उदासी न हो गई थी। “तुम भी कंसी मूखंता भरी बाते करती हो । हमने कौन से कालेज मे पढाईकीथीजो एेसा होता 1 “बातें तो कुछ अनुभव की सी ही कर रहै हौ । ' “हमे पता है राजेश की मॉ--आजकल की शिक्षा ने युवक और युवतियों के चाल-चलन को बिल्कुल ही बिगाड दिया है। मै जब घी लेकर जाता था, तो वहां पर लडकियो को देखकर भौचक्का रह्‌ जाता था । ग्रामं तो जसे उन्होने पानी भे' बहा दी है ।' “हमे तो कभी नहीं बताया दिल्‍ली से आकर ।”' / बताना ही कया है, चाहो तो घर भे ही लाकर देख लो । हाथ कंगन को आरसी क्‍या । बेटे का विवाह दिल्‍ली से कर लो ।/' “छोडो जी ! नई बहू का मुंह देख कर सब भूल जायेगे 1 “औओरे विचार से' अब इसका विवाह जल्दी ही कर दें! “जितनी जल्दी करो, उतना ही अच्छा है।'' “अब तुम इस विषय मे इससे बात ही न करता ।” रामनाथ जी इतना कहकर खेतो पर चले गये । उनके जाते ही रामप्यारी भी अपने घर के कायं मे जुट गई।




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