रति - विलास | Rati-vilash Part-i

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Rati-vilash Part-i by श्री सन्तराम - Shri Santram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्‌ के. ३ व्यापक उदासी को-पु्ठ करने में खचे कर दिया है कि यथोच्ित रूप से सुखी अचस्थाद्मों में न पीड़ा होती ट् सः थक़ावटठ न. उदासी तर न भावना-सम्बन्धी विराग ।? यधोचित रूप से सुखी अवरस्थाय कंसे प्राप्त की जा। सकती हैं यह जातने-के लिये संसार तरस रहा है । परन्तु एछिंसःमद्दाशाय कुछ. नहीं बताते. । मैं इस सम्बन्ध में सहायता देनें का यरनः करना चाहती हूँ । विवाहित जीवनः में पति-परनी का रति-सम्बन्धी अनुराग सदा. बना रहे इस विषय पर. नवीन प्रकाश डालने की सारी ावरदयकता- है यह वित्ार मनुष्य के हृदय में सहसा. उत्पन्न होता है । दूसवें-लाड जेसे साफ कह देने वाले बहुत कंस. लोग होंगे । एक दिनः एकान्त में अपने घर में/उस ने सके मेरी. पुस्तफ . विवा-- हित प्रेस? में. स्त्रियों को. विंवाह के शारीरिक यान्नन्द्‌. बताते के- कारण डॉटा । उस ने.चिछ्ठा कर कहा झांप ने क्या- किया छापने घर को फोड़-डाला है आप ने स्त्रियों को वे वालें बता दी हैं जो-केवल.बेदयाओओं को हीः मालुम होनी चा हियें एक. बार स्तरियों को इन बातों का स्वाद चखने दो फिर वे लहू चूसने।वाली जॉरिं बन-जाती. हैं और आपने इन. जांकों को सले पुरुषों के- घरो में खुला छोड़ दिया है. ।. जब. हस पुरुषों .को उस- प्रकोर की वस्तु -की--समागम म॑ आनन्द कसे. . लिया जा सकता है यह जानने वाली स्त्री की-- . आवश्यकता होती है तो हम अपने समयों . पर जब हस- इस का /झनभव करते हैं .. वेग्याञओं के -पास . चले. जाते हैं .। उस प्रक्कार-की-बतें हस- अपने घरों . सें नहीं चाहते ।- भायों . ग्रहिणी . होनी चाहिये.जो -घर को पति-के लिये शान्त सुख की जगह बनाए । रद न बा




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