छान्दोग्योपनिषद | Chhandogyopnishad

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Chhandogyopnishad by घनश्यामदास जालान - Ghanshyamdas Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ } तृतीय खण्ड १. पाञ्चाटोकी समामे उ्वेतकेनु २. प्रवाहणके प्रदन ३. प्रवाहणसे पराभूत उेतद्ेतुकरा अवने (नाके पाम्‌ जाना ४. पिता-परुचका प्रवाहणके पाम जाना ध ५. प्रवाहणका वरप्रदान चतुथं खण्ड .६. पञ्चम प्रका उत्तर ७. टोकल्पा अथिविन्या पञ्चम खण्ड ९८. पजन्यरूपा अथिविनच्रा «४ २ षष्ठ खण्ड २९. प्रथिवीरूपा अविद्या হল এ सप्तम खण्ड ७०. पुरुपरूपा अमिविद्या | অগুল खण्ड ७१. स््रीरूपा अमभिविद्या नवम खण्ड ७२. पश्चम आहुतिमे पुरुपत्वको प्राप्त हुए. आपकी गति * * दरशम खण्ड ७२. प्रथम प्रभका उत्तर '७४. तृतीय प्रश्नका उत्तर নি ( देवयान ओर धूमयानका व्यावतंनस्थान ) १७५. द्वितीय प्रश्नका उत्तर ( पुनरावतनका क्रम ) १७६. अनुशयी जीवोकी कर्मानुरूप गति हाफ १७७. चतुर्थ प्रश्नका उत्तर ( अशास्तरीय प्रवृत्तिवालोंकी गति ) १७८, पोच पतित कक १७९, पश्माप्मिविद्याका महत्त्व ° ४७९२ * ४७८ क হট) ক ४८५ क ८ ९ © ५०५ ५.०७ कर ५ १ © ५११




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