अमरबेलि | Amarbeli
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ विश्वनाथ प्रसाद - Dr Vishwanath Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्यासे को पानी ५
: बातें बनाने से कास नहीं चलेगा। मेरे कष्ट कां मूल्य आपको
चुकाना ही पड़ेगा
` “किस प्रकार ? :
अपनी एक कविता सुनाकर ॥ ।
में सुनाऊँ ? मेरे मेँह से अच्छी नहीं लगेगी ।' “`
काम पूरा भी नहीं हुआ और टाज् मटोल करने लगे !
“नहीं, नहीं, में तैयार हूँ 1?”
तो सुनाइए 1 রিও
नोटबुक तो दीजिए |!
जेब टटोल कर, दीपक जी ने पछतावे के साथ कहा--
“ओह, मैं तो भूल गया | कपड़े पहनते समय उसे जेब में न
डाल सका। आज क्षमा करें, कल अवश्य मिल जायगी ॥
आपके साथ चलूँ ?? |
भ्मेरे कमरे से अपना माल चरासद करा कर मेरे हाथों में हथ-
कड़ी उलवाने के लिये {7
यह प्रश्न सुनकर पांडे जी उदास हो गये ! उन्होंने कोई उत्तर
न दिया । दीपक जी ने सुस्कुराते हुए फिर कहा--निराश न हों,
पांडे जी, यह् तो एक विनोद् था । आपका हृदय निरछल है। में
उसे देख रहा हँ । कभी अपने घेर पर भी आपको ले चर्लुगा.] इस
समय तो अपनी एक रचना सुनाइए !
नोटलुक तो है नदी, सुनाऊँ कैसे ? ` `
दीपक जी के आगे यह चालाकी नही चल सकती । प्रत्येकं
कवि को अपनी कुछ रचनाएँ अवश्य याद रहती हैं ।?
User Reviews
No Reviews | Add Yours...